नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के आरक्षण में से पांच फीसद ‘चुराकर’ एक संप्रदाय विशेष को देने की ‘साजिश’ रचने के अपने दावे के साक्ष्य के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि 2005 में इन दोनों नेताओं ने एक मंच से सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण की वकालत की थी।

मोदी ने कटिहार में एक चुनावी रैली में कहा कि यह वो साल था जब नीतीश और लालू एक-दूसरे को देखने तक को तैयार नहीं थे। लेकिन धर्म के आधार पर एक संप्रदाय को आरक्षण देने की मुहिम चलाने के लिए दोनों ने एक मंच साझा करते हुए इस मामले पर सुर से सुर मिलाया।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा करने संबंधी बयान पर विपक्ष की आलोचना की पृष्ठभूमि में कहा, ‘ये लोग बाबा साहब आंबेडकर के आरक्षण के बारे में झूठ फैला रहे हैं और हमारे ऊपर आरोप लगा रहे हैं। जब मैंने बताया कि आरक्षण के बारे में ये कैसे खेल खेल रहे हैं, संसद में क्या बोला था, तो इनके पसीने छूट गए’।

उन्होंने कहा, ‘अब नया तथ्य पेश कर रहा हूं, ‘23-24 जुलाई 2005 के अखबार में प्रकाशित है। तब नीतीश और लालू एक-दूसरे को देखने तक को तैयार नहीं थे। एक-दूसरे के सामने मुस्कुराने तक को तैयार नहीं थे। तब दोनों ने एक मंच से आरक्षण के को लेकर भाषण में कहा था कि आरक्षण की समीक्षा हो, आरक्षण में बदलाव हो। दोनों ने एक मंच से सांप्रदायिक आधार पर आरक्षण का पक्ष लिया था’।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आंबेडकर, नेहरू, सरदार पटेल ने धर्म के आधार पर आरक्षण का कभी पक्ष नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठे आपके दरबारी चुनाव नहीं जिता सकते हैं, चुनाव जनता जिताती है।

मोदी ने कहा कि लालूजी 70 साल पुरानी एक किताब लेकर घूम रहे हैं और वह किताब भाजपा के किसी व्यक्ति ने नहीं लिखी। लेकिन जब मैंने इनका दस साल पुराना संसद का भाषण निकाला तब इनके दिल्ली के दरबारी पूछने लगे कि दस साल पुराना भाषण क्यों निकाला? जब 70 साल पुरानी किताब निकाल सकते हो तो 10 साल पुराना भाषण क्यों नहीं निकाल सकते?

इससे पहले मधुबनी की चुनावी सभा में उन्होंने बिहार में विकास और बदलाव का वादा करते हुए प्रदेश के लोगों को लालू प्रसाद के ‘जंगलराज’ और नीतीश कुमार के ‘जंतर मंतर’ से सावधान किया और कहा कि दोनों मिलकर राज्य को अंधकार में ले जाएंगे। बिहार में अंतिम चरण के लिए चुनाव प्रचार करते हुए उन्होंने कहा, ‘बिहार ने जंगलराज के दंश को झेला है। जंगलराज का अब जुड़वां भाई आ गया है और वह है ‘जंतर मंतर’। जंगलराज और जंतर मंतर को नहीं आने दीजिए, अन्यथा यह गठजोड़ बिहार और राज्य के लोगों को अंधकार में ले जाएगा’। उन्होंने मुख्यमंत्री पर यह चुटकी हाल में उनके एक तांत्रिक के पास जाने से संबंधित वीडियो सामने आने पर ली है।
मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि वे हौसला खो चुके हैं और उनका लोकतंत्र पर भरोसा नहीं रह गया है। इसलिए वे ‘जंतर मंतर’ का सहारा ले रहे हैं, जबकि राज्य को केवल एक चीज ही आगे ले जा सकती है और वह है विकास।

मतदाताओं को उन्होंने चेताया कि अगर महागठबंधन को आने दिया तो राज्य में अंधकार फैल जाएगा। राज्य के लोगों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के लोग बुद्धिमान, नवोन्मेषी, परिश्रमी और काम के प्रति समर्पित हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि युवा राज्य की तस्वीर बदलेंगे। नीतीश, लालू और कांग्रेस पर पिछले 60 सालों में बिहार को बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि बिहार को उनकी मुश्किलों से उबारने के लिए दो इंजनों की जरूरत है। ‘एक इंजन केंद्र सरकार है और दूसरा इंजन बिहार में राजग सरकार बनेगा और दोनों मिलकर राज्य को तीव्र विकास और प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाएंगे’।

मोदी ने मधेपुरा में चुनावी रैली में कहा कि सरकार गरीबों के लिए होनी चहिए, गरीबों के कल्याण के लिए होनी चाहिए और राज्य की स्थिति तभी बदलेगी जब बिहार में सरकार बदलेगी। उन्होंने कहा कि अमीर अपने बच्चों को पढ़ाता है तो अच्छे से अच्छा शिक्षक घर आकर पढ़ाते हैं लेकिन गरीबों को बच्चों को पढ़ाना होता है तब स्कूल में शिक्षक का इंतजार करना होता है। गरीब को पटना जाना होता है तब बस का इंतजार करना पड़ता है, दवाई के लिए दर-दर ठोकर खानी पड़ती है। पिछले 25 सालों में लालू, नीतीश की सरकार ने इसकी चिंता नहीं की।

मोदी ने कहा कि लोग बदलाव के इंतजार में हैं और आपकी तपस्या बेकार नहीं जाएगी। लालू की सरकार के दौरान कथित जंगलराज का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब जंगलराज होगा तो अपराध होगा और सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होगी, इसलिए माहिलाओं का गुस्सा जंगलराज के खिलाफ स्पष्ट है। क्योंकि जंगलराज से लालू के परिवार और नीतीश के यार दोस्तों को फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि बिहार के चार हजार गांवों में बिजली नहीं है, जबकि नीतीश ने बिजली नहीं होने पर वोट नहीं मांगने की बात कही थी। लेकिन वे वोट मांगने आए।

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