लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को लेकर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के मुद्दे पर कड़ा विरोध जताया। कहा कि यह हिंदुस्तान सबके लिए है। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार उन्होंने कहा, “हिंदुस्तान सबके लिए है। हिंदुस्तान किसी का जागीर है क्या? सबका समान अधिकार है। अमित शाह जी, पीएम मोदी खुद घुसपैठिए हैं। घर आपका गुजरात आ गए दिल्ली। आप खुद माइग्रेंट हैं।”
गृहमंत्री ने खारिज की थी भेदभाव की आशंका : हाल ही में राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने एनआरसी मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए धर्म के आधार पर एनआरसी में भेदभाव किए जाने की आशंका को खारिज किया था। गृहमंत्री ने कहा कि एनआरसी के आधार पर नागरिकता की पहचान सुनिश्चित की जाएगी और इसे पूरे देश में लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म विशेष के लोगों को इसके कारण डरने की जरूरत नहीं है। यह एक प्रक्रिया है जिससे देश के सभी नागरिक एनआरसी लिस्ट में शामिल हो सकें।
#WATCH Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury:.. Hindustan sab ke liye hai, ye Hindustan kisi ki jageer hai kya? Sabka samaan adhikaar hai. Amit Shah ji, Narendra Modi ji aap khud ghuspetiye hain. Ghar aapka Gujarat agaye Dilli, aap khud migrant hain. pic.twitter.com/zrCaSfPF7v
— ANI (@ANI) December 1, 2019
कहा अलग से लाएंगे सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल : केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा था कि हिंदू, बुद्ध, सिख, जैन, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। इसके लिए सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल अलग से लाएंगे, ताकि इन शरणार्थियों को नागरिकता मिल सके। इन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा था।
असम सरकार की पूरे देश के लिए एक एनआरसी की मांग : वहीं, असम सरकार ने केंद्र से हाल में प्रकाशित एनआरसी के रद्द करने की अपील की है। पत्रकारों से बातचीत में राज्य के वित्त मंत्री हिमंत विश्व सरमा ने कहा कि बीजेपी ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से एनआरसी को उसके मौजूदा स्वरूप में रद्द करने का अनुरोध किया है। हिमंत ने कहा कि असम सरकार ने एनआरसी को स्वीकार नहीं किया है। कहा कि राज्य सरकार पूरे देश के लिए एक कटऑफ वर्ष के साथ समान एनआरसी के पक्ष में है। अगर कटऑफ वर्ष 1971 है तो यह पूरे देश के लिए होना चाहिए। सरमा ने साफ किया कि वे असम समझौते को रद्द करने की मांग नहीं कर रहे हैं।