पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, नए-नए ऐलान और समीकरण बन रहे है। बंगाल में मुसलमानों के बड़े नेता और फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने अपने समर्थकों, मानने वालों और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी का समर्थन करें। उनके कार्यक्रमों, रैली और सम्मेलनों में शामिल हों। 25 फरवरी गुरुवार को ओवैसी की पहली राजनीतिक रैली बंगाल के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र मटियाबुर्ज में होने जा रही है।

मौलवी अब्बास सिद्दीकी ने हाल ही में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) नाम का एक संगठन बनाया है। सिद्दीकी बंगाल की तीन हजार मस्जिदों के क्षेत्र पर अपना असर रखते हैं। ऐसे में ओवैसी और सिद्दीकी का गठबंधन दूसरे राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय बना गया है। इस गठबंधन से सबसे अधिक नुकसान बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को होगा। दूसरे राजनीतिक दल भी अल्पसंख्यक मतदाताओं के वोटों को अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगे हैं।

ममता बनर्जी पिछले काफी समय से बंगाल के अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपनी ओर करने का लगातार प्रयास करती रही हैं। लेकिन ऐन चुनाव से पहले फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी को समर्थन के ऐलान से दीदी के हाथ से मुसलमान मतदाता छिटक जाने की आशंका बढ़ गई है। उनकी पार्टी टीएमसी पहले ही अपने नेताओं के दूसरे दलों में जाने से परेशान है। इससे पार्टी के लिए अपनी सत्ता बचाए रखना कठिन डगर लग रहा है।

फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कहा, “हिंदुस्तान में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। असदुद्दीन ओवैसी को भी है। वह इंसान की खिदमत करते हैं। ओवैसी साहब पिछली मीटिंग में साथ चलने को कहा था। हमारे लोगों ने हमसे पूछा तो हमने कहा कि बिल्कुल साहब के साथ जाइए। उनकी सभा में शामिल होइए।”

इसके पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि भाजपा को दूर रखने के लिए फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी कांग्रेस और लेफ्ट को समर्थन दे सकते हैं। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी को खुला समर्थन के ऐलान से कांग्रेस और लेफ्ट की भी उम्मीदें टूट गई हैं। इस ताजे समीकरण से फायदा भाजपा को होने की संभावना बढ़ गई है।