भारत सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर ( मसर्रत आलम गुट) को गैर-कानूनी संगठन करार दिया है। यह जानकारी गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स के जरिए साझा की है। गृह मंत्री ने एक्स पर लिखा,”यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं, आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं।”

क्यों किया गया बैन?

गृह मंत्री अमित शाह ने यह जानकारी साझा करते हुए वजह भी बताई और लिखा कि यह संगठन गैर-कानूनी कामों में शामिल था और लोगों को जम्मू-कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाता था। गृह मंत्री ने इसके साथ ही लिखा कि सरकार का संदेश जोरदार और स्पष्ट है कि हमारे राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे कानून के पूर्ण प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। मसरत आलम 2019 से जेल में बंद है।

मसर्रत आलम कौन है?

मसर्रत आलम भट 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं, वह कश्मीरी कट्टरपंथी अलगाववादी समूह ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) का 2021 में अध्यक्ष बनाए गए थे। वह 50 आतंकी फंडिंग मामले में NIA द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में है। इससे पहले भी मसर्रतआलम को 2010 में गिरफ्तार किया गया था।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आलम के खिलाफ 27 एफआईआर दर्ज हैं और 36 बार पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है। मार्च 2015 में मसर्रत आलम को रिहा कर दिया गया था। जिससे पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के खिलाफ प्रतिक्रिया शुरू हो गई, जो उस समय भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में थी।