कविता जोशी
इन दिनों विभिन्न संचार माध्यमों से लेकर हर खासो-आम की जुबान पर सबसे ज्यादा चर्चा राम मंदिर के निर्माण और 22 जनवरी को होने वाली श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की है। मगर, इन सबके बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सूत्रों ने बताया कि मंदिर के पास इससे जुड़ा एक संग्रहालय बनाने की कवायद भी जारी है। इसमें बाबरी मस्जिद की खुदाई के दौरान मिले मंदिर के प्राचीन अवशेषों व उससे जुड़े प्रमाणों और अन्य उपयोगी सामग्री को आम जनता के लिए संरक्षित रखा जाएगा।
राम मंदिर से जुड़े इस संग्रहालय के निर्माण और इसमें संरक्षित रखी जाने वाली मंदिर से जुड़ी प्राचीन सामग्री की प्रक्रिया का देश के पुरातत्वविद बढ़-चढ़कर समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे राम मंदिर और इससे जुड़े भारत के प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास के बारे में वर्तमान और भावी पीढ़ियों को तथ्यों के साथ जागरूक करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इतिहास और संस्कृति के विषय से जुड़े छात्रों और विद्वानों द्वारा किए जाने वाले शोध कार्य में भी यह काफी मददगार साबित होगा।
बाबरी मस्जिद की खुदाई से जुड़े पूर्व पुरातत्वविद पद्मश्री डा.केके मोहम्मद ने बताया कि वर्ष 1976-77 में मस्जिद में खुदाई के दौरान हमें कई ऐसी चीजें मिली थीं, जो पूरी तरह से मंदिर से जुड़ी हुई थीं। इनमें एक पूर्ण कलश, देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां, दस-ग्यारह प्राचीन स्तंभ (खंबे), कुछ प्राचीन सिक्के और टेराकोटा प्रतिमाएं शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि अब इन प्राचीन वस्तुओं का प्रयोग राम मंदिर से जुड़े संग्रहालय में किए जाने की बात सामने आ रही है, जो एक महत्वपूर्ण कदम होगा। क्योंकि, इससे हम प्रामाणिक तथ्यों के साथ अपने देश के प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास के संरक्षण और उसके दुनिया के सामने प्रकृटीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।
इस संग्रहालय की मदद से मंदिर का भ्रमण करने वाले लोगों को उसके प्राचीन इतिहास और संस्कृति से रू-ब-रू होने में मदद मिलेगी। वहीं, भविष्य में आने वाली युवा पीढ़ियों को जागरूक करने का भी यह माध्यम बनेगा।डा.केके मोहम्मद ने बताया कि मस्जिद की खुदाई के दौरान जो भी चीजें हमें मिली थीं, उनका संबंध बारहवीं शताब्दी के कालखंड से है। जो कि मस्जिद से पहले की समयावधि से जुड़ी हुई हैं।
पूर्व पुरातत्वविद बीएम पांडे ने कहा कि खुदाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को मिली वस्तुओं को संग्रहालय में आम जनता के देखने के लिए रखा जाना एक स्वागत योग्य कदम है।क्योंकि, किसी पुरातात्विक स्थल की खुदाई के बाद मिली सामग्रियों को खुले में नहीं छोड़ा जा सकता है। इससे ये धीरे-धीरे खराब होकर नष्ट होने लगती हैं।
लेकिन जब इन्हें संग्रहालय में सहेजकर रखा जाएगा तो न केवल इनका बेहतर ढंग से रखरखाव हो सकेगा, बल्कि इनके कालखंड से जुड़ा समूचा इतिहास भी सटीकता के साथ जनता तक पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि देश में प्राचीन स्थलों के पास पूर्व में भी संग्रहालय बनाए गए हैं। इनमें लोथल में बनाया गया हड़प्पा कालीन संग्रहालय और नागार्जुनकोंडा में बनाया गया आइलैंड संग्रहालय भी शामिल है।
संग्रहालय की मदद से मंदिर का भ्रमण करने वाले लोगों को उसके प्राचीन इतिहास और संस्कृति से रू-ब-रू होने में मदद मिलेगी। वहीं, भविष्य में आने वाली युवा पीढ़ियों को जागरूक करने का भी यह माध्यम बनेगा। डा केके मोहम्मद ने बताया कि मस्जिद की खुदाई के दौरान जो भी चीजें हमें मिली थीं, उनका संबंध बारहवीं शताब्दी के कालखंड से है। जो कि मस्जिद से पहले की समयावधि से जुड़ी हुई हैं।
बाबरी मस्जिद की खुदाई से जुड़े पूर्व पुरातत्वविद पद्मश्री डा.केके मोहम्मद ने बताया कि वर्ष 1976-77 में मस्जिद में खुदाई के दौरान हमें कई ऐसी चीजें मिली थीं, जो पूरी तरह से मंदिर से जुड़ी हुई थीं। इनमें एक पूर्ण कलश, देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां, दस-ग्यारह प्राचीन स्तंभ (खंबे), कुछ प्राचीन सिक्के और टेराकोटा प्रतिमाएं शामिल हैं।