Gangster Abu Salem: 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में दोषी ठहराए गए गैंगस्टर अबू सलेम ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अबू सलेम वर्तमान में नासिक सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। सजा में छूट के लिए वो हाई कोर्ट पहुंचा है। सलेम ने कोर्ट से जेल अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया है कि वे 31 दिसंबर, 2024 तक हिरासत में बिताए गए उसके कुल समय – 24 साल, 9 महीने और 16 दिन – पर विचार करें और उसे रिहाई एक तारीख बताएं।

वकील फरहाना शाह के माध्यम से दायर सलेम की याचिका में यह बात जस्टिस सारंग कोतवाल और जस्टिस एस एम मोदक की पीठ के समक्ष की गई। हालांकि, कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को करेगा।

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के जुलाई, 2022 के आदेश के बाद प्रस्तुत की गई। जिसमें भारत की प्रत्यर्पण संधि और पुर्तगाल को दिए गए संप्रभु आश्वासन के अनुरूप, उसकी कारावास की अवधि को 25 वर्ष तक सीमित कर दिया गया था।

11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद सलेम पर मुकदमा चला और उसे 1993 के बम धमाकों सहित दो मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उसकी दलील में कहा गया है कि विशेष सत्र न्यायालय ने उसकी सजा माफी के लिए पहले के अनुरोध को खारिज करके गलती की, उसके विचाराधीन हिरासत, दोषसिद्धि के बाद की कैद और अच्छे आचरण के कारण मिली छूट को ध्यान में नहीं रखा।

60 दिन वाला नियम बता हाईकोर्ट पहुंचा अमृतपाल, बोला- मेरी तो सांसदी चली जाएगी मीलॉर्ड

याचिका में तर्क दिया गया है कि सलेम की सजा में उसकी हिरासत की पूरी अवधि, विचाराधीन अवधि से लेकर वर्तमान तक, तथा उसे मिली छूट भी शामिल है।

सलेम के अनुसार, उसने नवंबर 2005 से सितंबर 2017 तक लगभग 11 वर्ष, 9 महीने और 26 दिन विचाराधीन कैदी के रूप में हिरासत में बिताए।

फरवरी 2015 से दिसंबर 2024 तक एक अपराधी के रूप में उसका समय कुल मिलाकर 9 साल, 10 महीने और 4 दिन है। इसके अतिरिक्त, उसका दावा है कि अच्छे व्यवहार के लिए उसने 3 साल और 16 दिन की छूट “अर्जित” की है। याचिका में भारत प्रत्यर्पित किए जाने से पहले पुर्तगाली जेल में बिताए गए एक महीने का भी उल्लेख है।

‘कोई दलित होना चाहिए दिल्ली का LoP…’, स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल से की ये बड़ी मांग

याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि सलेम ने अपनी पूरी कैद के दौरान अच्छा आचरण बनाए रखा है और जेल में रहने के दौरान उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गई है। इसमें तर्क दिया गया है कि उसे 25 साल से अधिक समय तक सलाखों के पीछे रखना भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन का उल्लंघन होगा, जो उसके प्रत्यर्पण के समय दिया गया था।

सलेम ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, और दावा किया है कि अधिकारी उसे तय सजा से अधिक समय तक हिरासत में रखकर उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। उनकी याचिका में न्यायालय से जेल प्राधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे उनकी रिहाई की सही तारीख की पुष्टि करें तथा यह सुनिश्चित करें कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 25 वर्ष की अवधि से अधिक समय तक हिरासत में न रखा जाए।

यह भी पढ़ें-

रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़ बनाए गए पर्यवेक्षक, शाम 6 बजे होगी विधायक दल की बैठक

जिसके नाम पर है गाजियाबाद शहर, उसके वशंजों के घर हुई कुर्की, पुलिस चप्पल और झाड़ू भी ले गई