लखनऊ के जियामऊ स्थित विवादित जमीन पर बन रहे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने जमीन को लेकर दावा कर रहे अब्बास अंसारी के पक्ष में आदेश देते हुए कहा है कि इस जमीन पर जो भी कार्य है वह सभी उसी तरह बने रहेगें। आपको बता दें कि जिस जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को आदेश दिया है कि कोर्ट जल्द से जल्द इस मामले पर सुनवाई करे। आपको बता दें इस जमीन को लेकर बाहुबली विधायक रहे मुख्तार अंसारी के बेटों ने अपने मालिकाना हक को लेकर दावा किया है।

साल 2020 में चला था बुलडोजर

लखनऊ विकास प्राधिकरण ने साल 2020 में मुख्तार अंसारी के बंगले पर बुलडोजर चलवा दिया था। जिसके बाद प्रदेश की योगी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत इस जमीन पर फ्लैट बनाने की तैयारी करने में जुट गई। आपको जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल मुख्तार अंसारी की मौत हो गई थी हालांकि जब बुलडोजर चले तब मुख्तार चित्रकूट जेल में बंद था।

हाईकोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित

इस जमीन पर पीएम आवास योजना के तहत चल रहे कामों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मऊ से विधायक अब्बास अंसारी की ओर से दायर की गई याचिका को पेश करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलील सुनी। सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर ध्यान दिया कि जमीन पर कब्जे के संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन के समक्ष बार-बार याचिका दायर की गई। लेकिन हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार के आदेश पर कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई।

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पिछले साल 21 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमीन के मालिकाना हक को लेकर अंतरिम रोक की अपील पर जल्द से जल्द सुनवाई करने को कहा था। इसी को लेकर गुरुवार को जब मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आया तो कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत की पीठ को सूचित किया कोर्ट के आदेश के बावजूद मामले पर सुनवाई नहीं हुई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ”कुछ उच्च न्यायालयों में, हम नहीं जानते कि क्या होगा। लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय उन उच्च न्यायालयों में से एक है जिसके बारे में हमें चिंतित होना चाहिए।”