उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में कैद  मुख्तार अंसारी को आर्म्स एक्ट (Arms Act) के तहत वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। यह मामला 1990 में फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल से हथियार लाइसेंस करने से जुड़ा है। तब गाजीपुर के मोहम्मदाबाद पुलिस स्टेशन में एक केस इस मामले में दर्ज किया गया था।

अदालत ने अंसारी को आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) 467, 468 और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया था।

क्या था मामला?

स्टेट की ओर से पेश हुए एडिशनल वकील (क्राइम) मनीष कुमार ने मंगलवार को कहा– “मुख्तार अंसारी और एक अन्य शख्स के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और गाजीपुर जिले के पुलिस अधीक्षक के जाली हस्ताक्षर के साथ हथियार लाइसेंस हासिल करने की साजिश रची थी। मामले के दूसरे आरोपी गौराई शंकर लाल श्रीवास्तव उस समय जिले में शस्त्र लिपिक के पद पर तैनात थे। मुकदमे के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी।”

मुख्तार अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद हैं। यह आठवां मामला था जिसमें पिछले दो सालों में यूपी की एक अदालत ने अंसारी को दोषी ठहराया और सजा सुनाई है।

  1. 1. दिसंबर-2023 में अंसारी को वाराणसी में एक व्यवसायी को जान से मारने की धमकी देने के 26 साल पुराने मामले में पांच साल-छह महीने जेल की सजा सुनाई गई थी।

2. 10 अक्टूबर 2023 को मुख्तार अंसारी को 2010 में ग़ाज़ीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी।

3. 5 जून 2023 को अंसारी को 1991 में वाराणसी में हत्या और दंगे के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

इसके आलवा 9 अप्रैल को 2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के संबंध में गैंगस्टर एक्ट मामले में दस साल जेल की सजा सुनाई गई थी। 15 दिसंबर, 2022 को अंसारी को 1996 में ग़ाज़ीपुर में दर्ज गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी। 23 सितंबर 2022 को अंसारी को 1999 में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज गैंगस्टर एक्ट मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

21 सितंबर, 2022 को अंसारी को 2003 के मामले में आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत सात साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।