जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के राज्य विधानसभा के शांतिपूर्ण चुनाव का श्रेय पाकिस्तान और अलगाववादी हुर्रियत को देने को लेकर सोमवार को संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ। इस पर सरकार ने कहा कि वह सईद के बयान से अपने को पूरी तरह अलग करती है। लोकसभा में विपक्ष ने इस मामले में प्रधानमंत्री से सफाई देने और सदन में निंदा प्रस्ताव पारित करने की मांग की। मांग नहीं माने जाने पर विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि सरकार और उनकी पार्टी सईद के बयान से खुद को पूरी तरह से अलग करती है।

मालूम हो कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार है।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने यह मामला उठाते हुए कहा कि सईद के इस विवादास्पद बयान देने के समय भाजपा नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह भी उनके साथ बैठे थे। लेकिन उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने इस बारे में प्रधानमंत्री के बयान की मांग की। उन्होंने कहा कि सईद ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री से भी कहा कि वह महसूस करते हैं कि जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण विधानसभा चुनाव कराने का श्रेय पाकिस्तान और हुर्रियत को जाता है। ऐसे में प्रधानमंत्री ही बता सकते हैं कि दोनों के बीच क्या बात हुई, इसलिए प्रधानमंत्री को सदन में आकर सफाई देनी चाहिए।

इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री से बात की है। वह सदन में बयान उनकी जानकारी और सहमति से दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने विवादास्पद बयान के बारे में सईद ने प्रधानमंत्री से बात नहीं की थी। गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण ढंग से विधानसभा चुनाव कराने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वे हैं, चुनाव आयोग, सेना, अर्द्धसैनिक बल और राज्य के लोग। राज्य में चुनाव में भारी हिस्सेदारी का श्रेय राज्य के लोगों को जाता है।

वेणुगोपाल ने कहा कि सईद का यह कहना कि उन्होंने यह बात प्रधानमंत्री से भी कही, इस विषय को काफी गंभीर बनाता है। इस बारे में प्रधानमंत्री की चुप्पी स्तब्धकारी है। सदन को इसकी निंदा करनी चाहिए। हमें सदन में प्रस्ताव पारित कराना चाहिए। निंदा प्रस्ताव की मांग पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई नोटिस नहीं आया है। उसके बिना यह कैसे संभव हो सकता है।

उधर, राज्यसभा में शून्यकाल में कांगे्रस के शांताराम नाईक ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सईद का यह बयान राष्ट्रविरोधी है। राष्ट्र विरोधी ताकतों का समर्थन कर सईद ने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है। जम्मू कश्मीर के लोगों, चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों के कारण यह चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो पाया, जबकि नए मुख्यमंत्री ने उन्हें कोई श्रेय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान संविधान के अनुच्छेद 370 के बारे में कहा था कि कम से कम चर्चा तो करो। लेकिन वह अब इससे बच रहे हैं।

इस मुद्दे पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पिछले साल मई में हुए लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से कराने का श्रेय जम्मू कश्मीर, लेह-करगिल के लोगों, चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों को जाता है। राज्य के लोगों ने जिस से उत्साह से चुनाव में भाग लिया और सुरक्षा बलों व चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न कराने के प्रयास किए, उसके लिए हम उनको बधाई देते हैं और सलाम करते हैं।

कांगे्रस के प्रमोद तिवारी ने भी व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर यही मुद्दा उठाते हुए कहा कि मुफ्ती द्वारा इस तरह का बयान दिया देने संविधान के खिलाफ है।