राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में सागर तात्याराम गोरखे (32) और रमेशर मुरलीधर (36) को सोमवार को गिरफ्तार किया गया, जबकि ज्योति राघोबा जगताप (33) को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। इन गिरफ्तारियों को लेकर  1039 साइंटिस्ट और एकैडमिक्स ने एनआईए की आलोचना की है।

इन लोगों की तरफ से जारी साझा बयान में कहा गया कि हिंसा के लिए जो लोग असल में जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ जांच ना करके, एनआईए लोगों के अधिकार के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं, वकीलों और एकैडमिक्स के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। अब तक इस मामले में 15 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। वैज्ञानिकों ने विरोध जताते हुए कहा कि अधिकांश गिरफ्तारियां ऐसे लोगों की हुई है जो लोग एल्गार परिषद के कार्यक्रम में मौजूद ही नहीं थे। ऐसा करने से सरकार असल दोषियों तक पहुंचने में नाकाम रहेगी। इसके साथ ही यूएपीए कानून लगा देने से गिरफ्तार लोगों को जमानत मिलने से भी वंचित रख रही है।

उधर, गिरफ्तारी के बाद अधिकारी ने बताया कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में कबीर कला मंच द्वारा आयोजित एल्गार परिषद से संबद्ध है। वहां कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिये गये थे,जो हिंसा का कारण बना था और महाराष्ट्र में राज्यव्यापी आंदोलन हुए थे। पुणे पुलिस ने 15 नवंबर 2018 और 21 फरवरी 2019 को अदालत में क्रमश: आरोप पत्र और पूरक आरोप आरोप दाखिले किये थे। गिरफ्तार किये गये इन तीनों लोगों के नाम प्राथमिकी में हैं। इन तीनों को मुंबई में एक विशेष एनआईए अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें चार दिनों की एनआईए हिरासत में भेज दिया। अधिकारियों ने बताया कि मामले की जांच जारी है। एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को मामले की जांच की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली थी।