प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार निजीकरण के जरिए सरकारी बैंकों की संख्या 12 से घटाकर पांच कर सकती है। यह बात सरकार और बैंकिंग सेक्टर के सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कही गई। सरकारी अफसर के हवाले से आगे बताया गया कि इस योजना के पहले हिस्से के तहत Bank of India, Central Bank of India, Indian Overseas Bank, UCO Bank, Bank of Maharashtra और Punjab & Sind Bank में बहुमत वाले स्टेक को बेचा जाएगा, जिससे कि इन राज्य-स्वामित्व वाले ऋणदाताओं का प्रभावी निजीकरण हो सकेगा।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, “चार से पांच सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों किए जाने के बारे में सोचा जा रहा है।” वैसे, मौजूदा समय में भारत में 12 सरकारी बैंक हैं। सरकारी अफसर ने यह भी कहा कि इस तरह की योजना को एक नए निजीकरण प्रस्ताव में रखा जाएगा, जिसे फिलहाल सरकार तैयार कर रही है। उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।

अंग्रेजी वेबसाइट NDTV ने जब इस बारे में वित्त मंत्रालय से सवाल किया, तो उधर से जवाब देने से इन्कार कर दिया गया। दरअसल, सरकार गैर-कोर कंपनियों और क्षेत्रों में परिसंपत्तियों को बेचकर पैसे जुटाने में मदद करने के लिए एक निजीकरण योजना पर काम कर रही है। केंद्र ये सब तब कर रहा है, जब देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण आर्थिक विकास की कमी के फंड की कमी का सामना कर रहा है।

सरकार की कई समितियों और Reserve Bank of India (RBI) ने सिफारिश की है कि भारत में पांच से अधिक राज्य के स्वामित्व वाले बैंक नहीं होने चाहिए। एक सरकारी बैंक में कार्यरत सीनियर अफसर के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार पहले ही कह चुकी है कि अब और कोई मर्जर (सरकारी बैंकों के बीच) नहीं होगा, इसलिए उनके पास सिर्फ एकमात्र विकल्प स्टेक्स को विनिहित करना ही है।

वैसे, यह भी कहा जा रहा है कि सरकार का बैंकों के निजीकरण का यह प्लान तभी सफल होगा, जब बैंक इस वित्त वर्ष के बाद कोरोना संकट के चलते बढ़ते बैड लोन्स का सामना कर रहे होंगे। सूत्रों ने यह भी बताया कि मार्केट के प्रतिकूल हालात के चलते डाइवेस्टमेंट प्लान हो सकता है कि इस वित्त वर्ष में न अमल में आए। बता दें कि पिछले साल केंद्र सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का मर्जर कर उनकी संख्या चार कर दी थी।