मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर एक बार फिर कड़ा प्रहार किया है। सरकार ने कथित रूप से भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप में 22 टैक्स अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। सरकार ने इन अधिकारियों को नियम 56 (जे) के तहत सोमवार को जबरदस्ती रिटायर कर दिया।
सरकार की तरफ से यह कदम राजस्व विभाग के अधिकारियों के संबंध में भ्रष्टाचार, उगाही, उत्पीड़न के संबंध में शिकायतों के बाद उठाया गया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने (CBIC) जिन अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है उनमें सुपरिटेंडेट/एओ स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
Central Board of Indirect Taxes & Customs (CBIC) has compulsorily retired yet another 22 senior officers of the rank of Superintendent/AO under Fundamental Rule 56 (J) in the public interest, due to corruption and other charges. pic.twitter.com/848fScXJdG
— ANI (@ANI) August 26, 2019
जिन अधिकारियों को निकाला गया है उनमें केके उके, एसआर पराटे , कैलाश वर्मा, केसी मंडल , एमएस दामोर , आरएस गोगिया, किशोर पटेल, जेसी सोलंकी, एसके मंडल, गोविंद राम मालवीय, एस. अशोकराज, दीपक एम गनेयन, प्रमोद कुमार, मुकेशजान, नवनीत गोयल, अचिंत्य कुमार, वीके सिंह डीआर चतुर्वेदी, डी. अशोक, लीला मोहन सिंह, वीपी सिंह शामिल हैं। ये अधिकारी भोपाल, दिल्ली, मुंबई, जयपुर, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, कोलकाता समेत विभिन्न सेंट्रल जीएसटी जोन में तैनात थे। देशभर में सीबीआईसी के कुल 12 जोन हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है कि सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों को जबरन बाहर का रास्ता दिखाया हो। इस साल जून में भी केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड से कमिश्नर लेवल के 12 भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से निकाला गया था। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जिन अधिकारियों को बाहर किया गया था उन पर भ्रष्टाचार, रिश्वत लेने और देने, तस्करी से लेकर आपराधिक षड्यंत्र रचने के भी आरोप थे।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था कि टैक्स ऐडमिनिस्ट्रेशन के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने शक्तियों की दुरुपयोग कर करदाताओं को प्रताड़ित किया होगा। उन्होंने या तो ईमानदार करदाताओं को निशाना बनाया होगा या फिर छोटी-छोटी गलतियों और प्रक्रियागत खामियों पर बड़ी कार्रवाई की होगी।’