पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन के खत्म होने के आसार दिखाई देने लगे हैं। तीन कृषि कानून को वापस लेने के बाद अब केंद्र ने आंदोलनरत किसानों की मांग पर एक प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में एमएसपी से लेकर कई मागों पर सरकार ने अपना रुख भेजा है। जिसके बाद सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने कई घंटों विमर्श के बाद बताया कि अंतिम फैसला बुधवार को लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कुछ प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण की जरूरत है। सरकार के पास कुछ बिंदुओं को भेजा जाएगा। कल फिर दो बजे बैठक होगी। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में मोदी सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा है उसमें कई मांगों पर सहमति बनी है।
केंद्र सरकार के प्रस्ताव के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यों को एमएसपी पर बनाई जा रही कमेटी में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा जिन किसानों पर मुकदमे दर्ज है उन्हें एक साल के भीतर वापस लिया जाएगा। साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुआवजे को लेकर भी किसानों की बात पर सहमति बनी है।
बिजली और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को पद से हटाने पर सरकार का रुख किसानों की मांग के अनुसार नहीं है। हालांकि अपने प्रस्ताव ने सरकार बिजली पर सभी पक्षों से राय की बात कही है।
वहीं इस मामले से संबंधित दिल्ली से नोएडा के बीच सड़कों की बंदी को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जनवरी 2022 तक टाल दी गई है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर मामले को स्थगित किया गया। वहीं किसान संघों की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने जनवरी में सुनवाई का अनुरोध किया था।