उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ला एक के बाद एक बयानों को लेकर चर्चा में हैं। पहले उन्होंने मस्‍ज‍िदों में लाउडस्‍पीकर के ख‍िलाफ डीएम को खत ल‍िख कर उसे नियंत्रित करने की बात कही थी। जिसके बाद उन्होंने कहा कि जिस तरह तीन तलाक को सरकार ने समाप्त किया है वैसे ही मेरी व्यक्तिगत राय है कि बुर्का भी खत्म होनी चाहिए। हालांकि अब उन्होंने कहा है कि महिलाओं पर कुछ भी थोपना नहीं चाहिए।

बलिया सदर से विधायक आनंद स्वरूप ने डीएम को पत्र लिखकर कहा था कि लाउडस्पीकर से की जाने वाली तकरीरों से उन्हें योग, पूजा आदि करने में दिक्कत होती है। अपने पत्र के दूसरे ही दिन उन्होंने सरकार से मांग कर दी कि मुस्लिम महिलाओं को बुर्के से आजादी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि यह अमानवीय है, कई मुस्लिम देशों ने बुर्के पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि अब उन्होंने तमाम बातों पर सफाई दी है।

मंत्री ने कहा कि रूढ़िवाद व परंपरा के नाम पर महिलाओं पर कुछ भी नहीं थोपा जाना चाहिए। समाज के प्रबुद्ध लोगों व धर्म गुरुओं को 21 वीं सदी के साथ समाज को आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए। साथ ही उन्होंने बुर्के वाले बयान पर सफाई देते हुए कहा कि वह सुधार की बात कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि किसी भी धर्म की महिला को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह क्या पहने वो क्या न पहने।

जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाएगी? तो उन्होंने कहा कि यह विषय सरकार का नहीं है। यह विषय समाज का है। उन्होंने कहा कि इस बारे में मुस्लिम धर्म गुरुओं को संज्ञान लेना चाहिए।

पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान: हाल ही में उन्होंने कहा था कि मौलाना अबुल कलाम आजाद के दिल में भारत और भारतीयता के लिए कोई जगह नहीं थी। शुक्ला ने कहा था कि दुर्भाग्य से मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के दिल में भारत और भारतीयता के प्रति कोई स्थान नहीं था।