आजाद भारत के सबसे बड़े खिलाड़ियों में शुमार मिल्खा सिंह यह दुनिया छोड़ असीम उड़ान पर निकल चुके हैं। फ्लाइंग सिख नाम से मशहूर धावक 91 बरस के थे और कोरोना से एक महीने तक जूझने के बाद शुक्रवार देर रात नहीं रहे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार (19 जून, 2021) शाम पांच बजे किया जाएगा। मिल्खा के देहांत के बाद न केवल खेल जगत बल्कि अन्य क्षेत्र के खास से आम लोग तक स्तब्ध हैं। इसी बीच, माइक्रो ब्लॉगिंग टि्वटर पर उन्हें भारत रत्न (मरणोपरांत) दिए जाने की मांग उठी।
कारोबारी सुहेल सेठ ने कहा, “प्रिय प्रधानमंत्री, मिल्खा सिंह ने खिलाड़ी बनने के लिए हर मुश्किल को पार किया। अरबों भारतीयों के वह प्रेरणास्रोत रहे। सिंह और उनका परिवार भारत के प्रतीक हैं। मिल्खा सिंह भारत रत्न पाने के हकदार थे, क्योंकि वह वास्तव में (देश के रत्न) थे।” @MalvarKumar के हैंडल से कहा गया, “मैं थोड़ी अलग मांग रखूंगा…भारत रत्न मिल्खा सिंह का हकदार है! वह मेजर ध्यानचंद समेत देश के महानतम खिलाड़ियों में से एक थे।”
It’s sad, that in our country we think deeply of people only when they have passed on. There is no question that more than most, Milkha Singh deserves the Bharat Ratna. Please retweet. And let’s begin a movement. @KirenRijiju @narendramodi #BharatRatnaMilkhaSingh
— SUHEL SETH (@Suhelseth) June 19, 2021
महान फर्राटा धावक के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि मिल्खा सिंह के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है और महान खिलाड़ी के संघर्ष की कहानी और उनकी शख्सियत पीढ़ियों तक भारतीयों को प्रेरित करती रहेगी। पीएम मोदी ने भी ट्वीट किया, ‘‘मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक बहुत बड़ा खिलाड़ी खो दिया जिनका असंख्य भारतीयों के ह्रदय में विशेष स्थान था । अपने प्रेरक व्यक्तित्व से वे लाखों के चहेते थे। मैं उनके निधन से आहत हूं।’’
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
वहीं, अभिनेत्री माधुरी दीक्षित नेने बोलीं, “प्रसिद्ध मिल्खा जी को बहुत याद किया जाएगा। वह जिस विरासत को पीछे छोड़ रहे हैं वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगी। उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है।”
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘मिल्खा सिंह के निधन से दुखी और स्तब्ध हूं। इससे भारत और पंजाब के लिए एक युग का अंत हो गया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना। वह आने वाली पीढियों के लिये प्रेरणास्रोत रहेंगे।’’ इसी बीच, हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘‘मिल्खा हमारे बीच नहीं रहे लेकिन वह देश का नाम रोशन करने के लिये हर भारतीय को प्रेरित करते रहेंगे। फ्लाइंग सिख हमेशा भारतीयों के दिल में रहेगा।’’
मिल्खा सिंह के लिये ट्रैक एक खुली किताब की तरह था जिससे उनकी जिंदगी को “मकसद और मायने” मिले। संघर्षो के आगे घुटने टेकने की बजाय उन्होंने इसकी नींव पर उपलब्धियों की ऐसी अमर गाथा लिखी जिसने उन्हें भारतीय खेलों के इतिहास का युगपुरूष बना दिया। कैरियर की सबसे बड़ी रेस में भले ही वह हार गए लेकिन भारतीय ट्रैक और फील्ड के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित कराया।
रोम ओलंपिक 1960 को शायद ही कोई भारतीय खेलप्रेमी भूल सकता है जब वह 0 . 1 सेकंड के अंतर से चौथे स्थान पर रहे । मिल्खा ने इससे पहले 1958 ब्रिटिश और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को विश्व एथलेटिक्स के मानचित्र पर पहचान दिलाई। अस्पताल में जाने पहले उन्होंने ‘पीटीआई’ से आखिरी बातचीत में कहा था, ‘‘चिंता मत करो। मैं ठीक हूं। मैं हैरान हूं कि कोरोना कैसे हो गया! उम्मीद है कि जल्दी अच्छा हो जाऊंगा।’’ बता दें कि मिल्खा के परिवार में बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं।