केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध अप्रवासियों का वेरिफिकेशन करने के लिए एक महीने की डेडलाइन दी है। MHA ने बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध अप्रवासी होने का संदेह रखने वाले उन लोगों के प्रमाण-पत्रों को सत्यापित करने के लिए 30 दिन की समय-सीमा तय की है जो भारतीय नागरिक होने का दावा करते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि 30 दिन की अवधि के बाद अगर उनके दस्तावेजों का सत्यापन नहीं किया जाता है तो उन्हें निर्वासित किया जाएगा।
जारी निर्देशों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अवैध अप्रवासियों का पता लगाने, उनकी पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने के लिए अपनी वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करने को कहा है। उन्हें निर्वासन तक व्यक्तियों को रखने के लिए पर्याप्त जिला-स्तरीय डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के लिए भी कहा गया है।
ये निर्देश बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध रूप से आए अवैध अप्रवासियों के खिलाफ केंद्र सरकार की नई मुहिम का हिस्सा हैं। ये निर्देश सीमा सुरक्षा बल (BSF) और असम राइफल्स के महानिदेशकों (DG) को भी जारी किए गए हैं। ये बल दोनों देशों के साथ भारत की सीमाओं की रक्षा करते हैं।
राजस्थान से 148 अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों को वापस भेजा गया
फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अवैध घुसपैठियों का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। उनकी पहचान की जानी चाहिए और उन्हें निर्वासित किया जाना चाहिए। तब से, राजस्थान और गुजरात राज्यों ने बांग्लादेश से अवैध अप्रवासी होने के संदेह में लोगों की पहचान करने और उन्हें हिरासत में लेने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। जैसा कि द इंडियन एक्सप्रेस ने पहले बताया था, गुजरात ने सूरत और अहमदाबाद में तलाशी अभियान चलाए गए और ऐसे 6500 लोगों को हिरासत में लिया गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि राजस्थान ने 148 अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों के अपने पहले जत्थे को इस हफ्ते एक स्पेशल फ्लाइट से पश्चिम बंगाल भेजा गया जिसके बाद उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाएगा।
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गृह मंत्रालय ने जारी की नई गाइडलाइन
मंत्रालय के नए निर्देशों के बारे में इंडियन एक्सप्रेस को बताते हुए एक अधिकारी ने कहा, “पहले अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने की कोई समयसीमा नहीं थी। कभी-कभी, दूसरे राज्य से वेरिफिकेशन रिपोर्ट प्राप्त करने में महीनों लग जाते थे (जिस राज्य से वे संबंधित होने का दावा करते थे) लेकिन अब, केंद्र ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और जिला कलेक्टरों/जिला मजिस्ट्रेटों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि 30 दिनों की अवधि के भीतर निर्वासित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को एक उचित क्रेडेंशियल रिपोर्ट भेजी जाए। संदिग्ध व्यक्ति को 30 दिनों के लिए होल्डिंग सेंटर में रखा जाना चाहिए और अगर उस अवधि के भीतर कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती है तो विदेशी पंजीकरण कार्यालयों को उन्हें निर्वासित करना चाहिए।”
अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेने के लिए बनाए जाएं होल्डिंग सेंटर
एक अन्य अधिकारी ने कहा, “अवैध अप्रवासियों के निर्वासन के मामले में, हम सत्यापन के लिए अनुरोध संबंधित राज्य को भेज देते थे और महीनों तक इंतजार करते थे। केंद्र ने अब सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों से कहा है कि वे प्रत्येक जिले में पुलिस के अधीन एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करें जो अवैध अप्रवासियों का पता लगाए, उन्हें पहचाने और निर्वासित करे। उन्हें प्रत्येक जिले में अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेने के लिए पर्याप्त होल्डिंग सेंटर स्थापित करने के लिए भी कहा गया है।”
इसके अलावा, गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्वासन के लिए सीमा बलों और तटरक्षक बल को सौंपे गए अवैध बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं का रिकॉर्ड रखना चाहिए और हर महीने की 15 तारीख को इस संबंध में केंद्र के साथ अनिवार्य रूप से एक रिपोर्ट साझा करनी चाहिए।
साथ ही, अप्रवास ब्यूरो को सार्वजनिक पोर्टल पर निर्वासित लोगों की सूची प्रकाशित करने के लिए कहा गया है। यह डेटा यूआईडीएआई, चुनाव आयोग और विदेश मंत्रालय के साथ भी साझा किया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसे व्यक्तियों को आधार आईडी, वोटर कार्ड या पासपोर्ट जारी करने से रोका जा सके। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
