बोफोर्स कांड के 30 साल बाद किसी सरकार ने नई तोपें खरीदने की हिम्मत नहीं की। इस कांड में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन तक का नाम आया। बिगबी तो आज तक इस दर्द को भूल नहीं पाए हैं। इस कांड ने हिंदुस्तान की राजनीति में भूचाल लाकर रख दिया था। यही कारण रहा कि भारत सरकार पिछले 30 साल से सेना को नई तोपें नहीं दे पाई, लेकिन लग रहा है कि अब यह सूखा खत्म होने जा रहा है।
अमेरिका भारत को 145 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपें बेचने के लिए तैयार हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटगन ने इस संबंध में स्वीकृति पत्र भारतीय डिफेंस मिनिस्ट्री को भेज दिया है। फाइनल कॉन्ट्रेक्ट 180 दिन के अंदर तैयार कर लिया जाएगा। अमेरिका के साथ तोपों की खरीद को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी। इन तोपों की पहली खेप भारत को सीधे तौर पर भेजी जाएगी। इसके बाद की तोपें तीन साल के अंदर भारत में ही तैयार की जाएंगी।
हॉवित्जर में क्या है खास?
1- हॉवित्जर तोपें दूसरी तोपों के मुकाबले काफी हल्की हैं। इनको बनाने में टाइटेनियम का इस्तेमाल किया गया है। यह 25 किलोमीटर दूर तक बिल्कुट सटीक तरीके से टारगेट हिट कर सकती हैं।
2- चीन से निपटने में तो ये तोपें काफी कारगर साबित हो सकती हैं। भारत ये तोपें अपनी 17 माउंटेन कॉर्प्स में तैनात कर सकता है।
3- भारत बोफोर्स का अपग्रेडेड वर्जन धनुष नाम से भारत में तैयार कर रहा है। इसका फाइनल ट्रायल चल रहा है। 1260 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में 114 का ट्रायल चल रहा है। जरूरत 414 तोपों की है।
4- 500 करोड़ रुपए के सेल्फ प्रोपेल्ड गन का कॉन्ट्रेक्ट तैयार है। इसे एलएंडटी और सैमसंग टैकविन बनाएंगी।
5- जून 2006 में हॉवित्जर का लाइट वर्जन खरीदने के लिए भारत-अमेरिका की बातचीत शुरू हुई थी। भारत इन्हें चीन बॉर्डर पर तैनात करना चाहता है।
6- अगस्त 2013 में अमेरिका ने हॉवित्जर का नया वर्जन देने की पेशकश की। कीमत थी 885 मिलियन डॉलर।
अमेरिका ने हाल ही में आठ एफ-16 फाइटर प्लेन पाकिस्तान को बेचने की मंजूरी दी है, जिस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है। हालांकि, ओबामा प्रशासन के रुख को देखते हुए लग रहा है कि वह पाकिस्तान को लड़ाकू विमान देने संबंधी पेंटागन के फैसले को पलटेगा नहीं। पेंटागन ने तर्क दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में पाकिस्तान को इन विमानों की जरूरत है और 8 विमानों से उसकी शक्ति इतनी नहीं बढ़ेगी कि किसी को चिंता करने की जरूरत पड़े। वैसे अमेरिकी संसद चाहे तो पाकिस्तान को लड़ाकू विमान देने के फैसले को रोक सकती है। अमेरिकी कानून के मुताबिक, उसके पास करीब 27 दिन का समय है।