बिहार की राजधानी पटना में 12 जून को विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक होने वाली थी, लेकिन अब यह टल गई है। दरअसल कांग्रेस के शीर्ष नेता 12 जून को अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त हैं और पटना पहुंचने में असमर्थ हैं, इसलिए ये बैठक टली है।

मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी 12 जून को बैठक में नहीं हो पाते शामिल

कांग्रेस चाहती है कि बैठक 20 जून के बाद हो ताकि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (जो इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं), दोनों इसमें शामिल हो सकें। लेकिन जनता दल (यूनाइटेड) ने आगे बढ़कर घोषणा कर दी कि कुछ विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद 12 जून की तारिख तय की गई है।

सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि 12 जून का शेड्यूल डीएमके के साथ-साथ सीपीआई (एम) के लिए भी सुविधाजनक नहीं था। जद (यू) द्वारा एकतरफा तारीख की घोषणा के साथ, कांग्रेस ने संकेत दिया था कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं और इसके बजाय पार्टी के मुख्यमंत्रियों में से एक को पटना में बैठक में भेज सकते हैं।

राहुल 18 जून को भारत लौटेंगे

सूत्रों ने बताया कि राहुल 18 जून को भारत लौटेंगे। 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति के बिना भाजपा विरोधी दलों की एक बैठक अच्छा संदेश। सूत्रों ने कहा कि जद (यू) ने अब विपक्षी नेताओं को बता दिया है कि बैठक अब 20 जून के बाद संभवत: 23 जून को आयोजित किया जा सकता है। इससे पहले कांग्रेस ने स्पष्ट किया था कि पार्टी 12 जून की बैठक में भाग लेगी।

हालांकि कांग्रेस अभी भी मानती है कि विपक्षी एकता के केंद्र में उसे ‘उचित स्थान’ मिलना चाहिए। गैर-बीजेपी पार्टियों में सबसे बड़े दल के रूप में अपनी स्थिति को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने बिहार के सीएम और जेडी (यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार (Bihar CM and JDU supremo Nitish Kumar) को जमीनी काम करने को कहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ विपक्षी दल कांग्रेस को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं।

विपक्षी एकता पर चर्चा एक कठिन मामला: राहुल गांधी

कई विपक्षी दल चाहते हैं कि वे एक साथ आएं और 2024 के चुनावों में अधिक लोकसभा सीटों पर भाजपा के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करें। लेकिन यह काफी चुनौतियों से भरा है। वास्तव में राहुल गांधी ने हाल ही में स्वीकार किया कि विपक्षी एकता के बारे में चर्चा एक कठिन मामला होगा। उन्होंने कहा, “चर्चा जटिल है क्योंकि ऐसे स्थान हैं जहां हम विपक्ष के साथ भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इसलिए थोड़ा लेन-देन की जरूरत है, लेकिन मुझे विश्वास है कि ऐसा होगा।”