Meerut Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी ने यूपी के लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। कुछ सीटों पर नाम बाकी है लेकिन खास बात यह है कि बीजेपी (BJP) ने मेरठ से अपने सीटिंग सांसद का टिकट काटकर रामायण सीरियल (Ramayan Serial) के एक्टर और राम का रोल कर चुके अरुण गोविल (Arun Govil) को मैदान में उतार दिया है।

पीएम मोदी ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत मेरठ से की है। मेरठ की सीट बीजेपी के लिए काफी अहम है और पिछले चुनाव में यह सीट बीजेपी ने घिसट-घिसट कर बड़ी मुश्किल से जीती थी। इसीलिए पार्टी ने राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर पॉपुलर चेहरे अरुण गोविल को उतारा है। इतना ही नहीं, गोविल घूम-घूम कर मेरठ की सड़कों पर प्रचार कर रहे हैं।

बीजेपी की अतिसक्रियता की वजह की बात करें तो वह यह है कि राजेंद्र अग्रवाल की जीत 5000 से भी कम वोटों की थी। साथ ही इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने दो बार अपना प्रत्याशी बदला था और आखिरी में सपा ने अपना प्रत्याशी सुनीता वर्मा को बनाया था। इसके चलते पार्टी ने मेरठ के जातिगत समीकरण को अच्छे से साधने की कोशिश की है।

एक विधानसभा की वजह से संसद पहुंचे थे राजेंद्र अग्रवाल

पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो राजेंद्र अग्रवाल ने मेरठ से महज 4729 वोटों से जीत दर्ज की थी। खास बात यह है कि केवल मेरठ कैंट विधानसभा के वोटों की वजह से ही राजेंद्र अग्रवाल जीत सके थे, वरना वह सीट भी सपा बसपा गठबंधन के हाथ में चली जाती। बसपा प्रत्याशी हाजी मोहम्मद याकूब ने पांच में से चार विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी और कैंट ने भरकर वोट दिया तो राजेंद्र अग्रवाल की जीत तय हो पाई। 2014 में राजेद्र अग्रवाल ने करीब 3 लाख 32 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी।

विधानसभा में भी पिछड़ती नजर आती है बीजेपी

विधानसभा सीटों की बात करें तो इसमें भी विपक्ष आगे निकल जाता है। केवल एक सीट पर बीजेपी की जीत हुई थी, जबकि अन्य सभी चार सीटों पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की थी। ऐसे में बीजेपी के लिए मेरठ की यह सीट लोकसभा चुनाव के लिहाज से एक बड़ी चुनौती है। इसीलिए सपा जहां मेरठ में बीजेपी को घेरने के लिए लगातार अपने प्लान्स चेंज कर रही है, तो दूसरी ओर बीजेपी सीट बचाने के लिए पूरी इलेटोरल मशीनरी लगा चुकी है।

बीजेपी का गढ़ रही है मेरठ लोकसभा सीट

बता दें कि बीजेपी के लिए मेरठ लोकसभा सीट (Meerut Lok Sabha Elections) एक गढ़ रही है। यहां एससी के लिए कुछ विधानसभा की सीटें रिजर्व भी हैं। पार्टी 1971 से यहां 5 बार जीत चुकी है। वहीं चार बार कांग्रेस, एक बार बीएलडी, एक बार बसपा सीट अपने नाम कर चुकी है। ऐसे में इस बार इस सीट पर बीजेपी को अपना गढ़ बचाने की चुनौती भी मिल रही है।

साल 1999 के लोकसभा चुनाव नतीजे

मेरठ लोकसभा सीट से कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी के ही अमर पाल सिंह को हराया था। दोनों के बीच जीत का अंतर 20 हजार से ज्यादा का था।

2004 लोकसभा चुनाव के नतीजे
पार्टीप्रत्याशीवोटमार्जिन
कांग्रेसअवतार सिंह भड़ाना25845620 हजार से ज्यादा
बीजेपीअमर पाल सिंह233620हार

2004 के लोकसभा चुनाव के नतीजे

2004 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो इस सीट से मोहम्मद शाहिद जीते थे, जो कि बीएसपी के टिकट पर खड़े हुए थे। उन्होंने आरएलडी के मलूक नागर को पटखनी दी थी। इस जीत में अंतर 60 हजार से ज्यादा का अंतर था।

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2004 लोकसभा चुनाव के नतीजे
पार्टीप्रत्याशीवोटमार्जिन
BSPमोहम्मद शाहिद25251835 हजार से ज्यादा
BJPमलूक नागर 183182हार

2009 के लोकसभ चुनाव के नतीजे

लोकसभा चुनाव 2009 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो यहां से बीजेपी का एक अच्छा युग शुरू हुआ था। राजेंद्र अग्रवाल बीजेपी के टिकट पर जीते थे। उनकी जीत का अंतर 35 हजार से ज्यादा का था। उन्होंने मलूक नागर को हराया था।

2009 लोकसभा चुनाव के नतीजे
पार्टीप्रत्याशीवोटमार्जिन
बीजेपीराजेंद्र अग्रवाल23213735 हजार से ज्यादा
बीएसपीमलूक नागर 184991हार

2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे

2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो उसमें भी बीजेपी की जीत हो गई थी। राजेंद्र अग्रवाल दूसरी बार जीतकर संसद पहुंचे थे। उन्होंने 2014 में बीएसपी के मोहम्मद अखलाख को हराया था।

2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे
पार्टीप्रत्याशीवोटमार्जिन
बीजेपीराजेंद्र अग्रवाल5329812 लाख से ज्यादा
बीएसपीमोहम्मद शाहिद अखलाख300655हार

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे

राजेंद्र अग्रवाल तीसरी बार 2019 में बीजेपी के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे थे। उन्हें सीट पर करीब 48.17 प्रतिशत वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर बीएसपी के प्रत्याशी हाजी मोहम्मद याकूब थे।

2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
पार्टीप्रत्याशीवोटमार्जिन
बीजेपीराजेंद्र अग्रवाल5861845000 से कम
बीएसपीहाजी मोहम्मद याकूब581455हार

अब यह देखना होगा कि इस बार बीजेपी अपना गढ़ बचाने में कामयाब हो पाती है या फिर विपक्षी दल यहां दांव मारने में सफल हो जाता है।