बीएससी चुनाव के लिए शिवसेना यूबीटी और एमएनएस ने गठबंधन का ऐलान कर दिया किया है। उद्धव ठाकरे ने एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “हम साथ रहने के लिए एक साथ आए हैं।”

उद्धव ठाकरे ने कहा कि मराठी मानूस के हितों की रक्षा उनकी प्राथमिकता रहेगी और महाराष्ट्र का हित सबसे ऊपर रखा जाएगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र किसी भी आपसी मतभेद से बड़ा है। हम यह घोषणा करते हैं कि हमारा गठबंधन बन चुका है और मुंबई का मेयर मराठी होगा और हमारा होगा।”

गठबंधन के ऐलान से पहले दोनों नेताओं ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को श्रद्धांजलि दी और इसके बाद जनवरी में होने वाले बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव के लिए गठबंधन की आधिकारिक घोषणा की।

राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र जिस पल का लंबे समय से इंतजार कर रहा था कि शिवसेना और मनसे एक साथ आएं, आज हम उसकी आधिकारिक घोषणा कर रहे हैं।”

यूूबीटी-एमएनएस गठबंधन से समर्थक उत्साहित

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने इस मौके पर कहा, “यह एक बेहद शुभ क्षण है और महाराष्ट्र की जनता लंबे समय से इस पल का इंतजार कर रही थी। मुंबई सभी को अपने भीतर जगह देती है। हमने कभी जाति या किसी के धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया। हम हमेशा मराठियों और इस मिट्टी के बेटों की बात करते आए हैं।”

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समझौते की ओर बढ़ रहा पवार परिवार?

दूसरी ओर 15 जनवरी को होने वाले नगर निगम चुनावों से पहले पवार परिवार के बीच अनबन के बावजूद दोनों पक्ष आपसी समझौते की ओर बढ़ रहे हैं। दोनों पार्टियां पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम चुनावों के लिए गठबंधन करने की संभावना पर चर्चा कर रही हैं। शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रदेश अध्यक्ष शशिकांत शिंदे ने मुंबई में हुई पार्टी की बैठक के बाद कहा, “हमारी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यह राय व्यक्त की है कि हमें पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ में अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन करना चाहिए। कल जब मैं उनसे मिला, तो नेताओं ने यही राय व्यक्त की। हमने इस मुद्दे पर चर्चा की है और जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा।”

मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगमों में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उनका तर्क है कि गठबंधन का मतलब स्थानीय निकाय चुनावों में विपक्षी दलों के लिए जगह खोलना होगा।