महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा जारी है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने संसद में अपनी बात रखते हुए इस बिल का समर्थन कर कहा कि यह बिल राजीव गांधी की देन और इसे जल्द लागू किया जाना चाहिए। इस बिल पर बसपा प्रमुख मायावती का भी बयान सामने आया है, जिसमें मायावती ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार का इरादा नेक नहीं है और वह सिर्फ चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए यह बिल लाए हैं।
क्या बोलीं मायवाती?
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक बसपा प्रमुख मायावती ने बिल पर बात करते हुए कहा कि इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा। मायावती ने कहा, “इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जाएगा, पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा, जनगणना में काफी वक्त लगता है और इसके बाद ही ये बिल लागू होगा। इससे साफ होता है कि ये बिल महिलाओं को आरक्षण देने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ चुनाव से पहले प्रलोभन देने के लिए लाया गया है।
मायावती ने की खास मांग
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि संसद में पेश किये जा रहे महिला आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए। साथ ही मायावती ने कहा कि उनकी मांगे मानी नहीं भी जाती हैं तब भी वह इस बिल का समर्थन करेंगी। 27 साल से अटके महिला आरक्षण विधेयक को नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करके मंजूरी दे दी है।
मायावती ने कहा, “इस बिल के संदर्भ में मैंने संसद में कई बार कहा है कि हमारी पार्टी चाहती है कि महिलाओं को संसद और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण मिले। 33 फीसदी आरक्षण देने के बजाय अगर महिलाओं को उनकी आबादी के आधार पर 50 फीसदी आरक्षण दिया जाए तो हम उसका भी स्वागत करेंगे, सरकार को इस पर विचार करना चाहिए, साथ ही मैंने यह भी कहा है कि अगर महिलाओं को आरक्षण दिया जाता है तो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए।”