देश में दलित राजनीति का चेहरा मानी जाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान कर दिया है कि वह 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरेंगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा होना है, जिसके बाद ही इस गठबंधन को लेकर औपचारिक ऐलान किया जाएगा। मायावती कर्नाटक में जनता दल (सेक्यूलर) के पक्ष में एक रैली को संबोधित करने के लिए राज्य पहुंची हुई थी। इसी दौरान टीवी चैनल एनडीटीवी से बातचीत के दौरान मायावती ने यह बात कही। बातचीत के दौरान मौके पर मौजूद जनता दल (सेक्यूलर) के नेताओं ने तो उन्हें बाकायदा गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई तीसरे मोर्चे की तरफ से पीएम पद का सशक्त दावेदार तक बता दिया। जनता दल के नेताओं का कहना है कि मायावती वह ताकत रखती हैं, जो गैर-भाजपाई और गैर-कांग्रेसी पार्टियों को एक झंडे तले एकत्र कर सकें। मायावती ने सपा-बसपा गठबंधन पर बोलते हुए कहा कि ‘धर्मनिरपेक्ष ताकतों के गठजोड़ से भाजपा और आरएसएस डर गई हैं। सांप्रदायिक ताकतें नहीं चाहतीं कि धर्मनिरपेक्ष ताकतें इकट्ठा हों और आगे बढ़ें।’
जब एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने मायावती से सवाल किया कि बसपा और सपा के गठबंधन का ऐलान कब तक होगा? इस सवाल के जवाब में मायावती ने कहा कि अभी लोकसभा चुनावों में थोड़ा वक्त है..जैसे ही चुनाव नजदीक आएंगे, वैसे ही दोनों पार्टियां सीटों का बंटवारा कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर देंगी। जनता दल (स) के नेता कुंवर दानिश अली ने कहा कि ‘बहनजी’ ही ऐसी नेता हैं जो पूरे देश में स्वीकार्य हैं। मायावती के नेतृत्व में बसपा ही ऐसी पार्टी है, जो आगामी लोकसभा चुनावों में धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को एक कर सकती हैं। वहीं कर्नाटक चुनावों पर बात करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे और जनता दल (सेक्यूलर) के नेता एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि कर्नाटक चुनाव एक अप्रत्याशित टर्न लेने वाले हैं और ये चुनाव आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बेहद अहम साबित होंगे।
उल्लेखनीय है कि बसपा और सपा के गठबंधन की ताकत हाल ही में हुए गोरखपुर और फूलपुर उप-चुनावों में देखने को मिली थी। जहां फूलपुर के साथ-साथ लंबे समय से भाजपा का गढ़ रही गोरखपुर सीट भी भाजपा के हाथ से निकल गई। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों में यदि बसपा और सपा गठबंधन कर लेती हैं तो 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा की राह काफी मुश्किल हो सकती है। उत्तर प्रदेश की दोनों क्षेत्रिय पार्टियों के गठबंधन की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले उत्तर प्रदेश से 80 सासंद चुनकर लोकसभा जाते हैं। हालांकि बीते दिनों सपा-बसपा गंठबंधन में उस वक्त थोड़ी दरार भी आयी थी, जब बसपा को राज्यसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि अब मायावती के ऐलान के बाद लग रहा है कि 2019 में भाजपा को कड़ी टक्कर मिलने जा रही है।