Citizenship Amendment Act/Bill (CAA/CAB) Protest Today in Delhi, Aligarh, Assam, Jamia, AMU University News: जमियत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि मोदी सरकार यह साबित करना चाहती है कि मुस्लिम भरोसे के काबिल नहीं हैं। ‘Economic Times’ से बातचीत करते हुए सैयद अरशद मदनी ने कहा कि ‘नागरिकाता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का मुख्य लक्ष्य है कि इसके जरिए यह साबित किया जाए मुस्लिम विश्वास करने के लायक नहीं हैं..और इस समुदाय की आत्मा को तोड़ा जाए…जरुरी नहीं कि जिनके पास आवास प्रमाण पत्र या भारत के नागरिक होने का कोई सबूत नहीं है वो घुसपैठिया ही हो…ऐसा भी हो सकता है कि उसका जन्म यहीं हुआ हो और वो यही पला-बढ़ा हो…अपने पिता की तरह…यह जमीन उसकी भी उतनी ही हैं जितनी उनकी, जो उससे प्रमाण या सबूत मांग रहे हैं।’
अदालत जाएगा जमियत उलेमा-ए-हिंद
जमियत उलेमा-ए-हिंद ने अब Citizenship Amendment Act के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला कर लिया है। मदनी ने बताया कि इस विषय पर उन्होंने एडवोकेट इंदिरा जयसिंह और राजीव धवन से भी बातचीत की है। मौलाना मदनी ने बताया कि इस मामले में हमारे वकील इरशाद हनीफ होंगे। मदनी ने बताया कि ‘जो याचिका वो अदालत में डालेंगे उसमें इस कानून में किए गए संशोधनों को असंवैधानिक बताया गया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से हमारे धर्मनिरपेक्ष देश की छवि और संविधान के खिलाफ है। इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात कही गई है।’
मुसलमान हार नहीं मानेंगे
मौलाना मदनी ने कहा कि ‘इस कानून से मुस्लिमों को जो नुकसान होगा उसका असर लंबे समय तक रहेगा। हमने असम में लोगों की नाराजगी को देखी है…लोग अपनी नागरिकता साबित करने के लिए परेशान थे…वो मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराना चाहते हैं…वो चाहते हैं कि मुस्लिम यहां सिर्फ संघर्ष करते रहें…लेकिन शायद वो यह नहीं जानते हैं कि मुसलमान कभी हार नहीं मानेंगे। इस देश के मुसलमानों ने देश को बनाने और इसको धर्मनिरपेक्ष रखने में अपना बलिदान दिया है।’
भारत के बंटवारे के लिए नेता जिम्मेदार
इस बातचीत में मौलाना मदनी ने भारत के बंटवारे को लेकर कहा कि ‘जमियत हमेशा से ही गांधी और नेहरू के बताए रास्तों पर चलता रहा है। भारत का बंटवारा उस वक्त के राजनेताओं की वजह से हुआ था…मुस्लिमों की वजह से नहीं। इस कानून के जरिए देश में यह संदेश भेजा जा रहा है कि मुस्लिमों से देश को बचाने की जरुरत है…हमपर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में हो रहे प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि इस कानून से देश भर के मुस्लिम छात्र संगठन आक्रोशित हैं।
