मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ऑर्डर 7 रूल 11 की आपत्ति वाली अर्जी को खारिज कर दिया है। अब इस मामले में जल्द ट्रायल शुरू होगा। कोर्ट को यह तय करना था कि मामले में दाखिल की गई 18 अर्जियों पर एक साथ सुनवाई हो सकेगी या नहीं। यह फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया है।

क्या है पूरा मामला?

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हिंदू पक्ष की ओर से 18 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इसमें उन्होंने शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं की बताया है। हिंदू पक्ष की ओर से यहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की गई। कोर्ट को अलग-अलग याचिकाओं के एकसाथ सुनवाई किए जाने को लेकर फैसला सुनाना था। मुस्लिम पक्ष ने ऑर्डर 7 रूल, 11 के तहत इन याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाए और इन्हें खारिज किए जाने की अपील की। मुस्लिम पक्ष ने प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला दिया और हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की।

हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिकाओं में दावा किया गया है कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है। याचिका में कहा गया कि औरंगजेब के जमाने में इस मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। बता दें कि इससे पहले 6 जून को हुई मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले 14 दिसंबर, 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वे के लिए एडवोकेट कमीशन के गठन की मांग वाली अर्जी स्वीकार कर ली थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

अयोध्या की तर्ज पर हो सकेगी सुनवाई

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में भी अयोध्या की तर्ज पर सुनवाई हो सकेगी। इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर मथुरा मामले में भी विवादित परिसर का अयोध्या के राम मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है। बता दें कि दाखिल की गई 18 में से 15 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है। वहीं तीन याचिकाओं को अलग कर दिया गया था।