इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज भूमि 2004 में कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो जाने पर तहसीलदार से जवाब मांगा है। श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने पारित किया। यह रिट याचिका छाता के राजस्व अधिकारियों को याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय करने का निर्देश देने के अनुरोध के साथ दायर की गई है। याचिका में स्वामित्व सुधार करने के निर्देश देने की याचना की गई है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक 2004 में ही दर्ज हो गया था नाम
याचिकाकर्ता के मुताबिक, भूखंड संख्या 1081 मूल रूप से बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज था। यह 1375-1377एफ के अधिकारों के रिकॉर्ड से भी स्पष्ट है। बाद में वर्ष 2004 में इसे बदलकर कब्रिस्तान के नाम कर दिया गया। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 17 अगस्त, 2023 निर्धारित की है।
कब्रिस्तान का नाम दर्ज करने के लिए भी याचिका
राज्य सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता ने अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहा कि कब्रिस्तान का नाम दर्ज करने के लिए भी एक आवेदन लंबित है, क्योंकि प्रविष्टियां अब कब्रिस्तान से पुरानी आबादी में बदल दी गई हैं। अदालत ने पिछले गुरुवार को अपने आदेश में कहा, “तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर छाता तहसील के शाहपुर गांव में भूखंड संख्या 1081 पर उपलब्ध प्रविष्टियां बदलने के लिए राजस्व अधिकारियों द्वारा समय समय पर जो भी कार्यवाही की गई है, उसका उल्लेख करने का निर्देश दिया जाता है।”
संपूर्ण श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर याचिकाकर्ता देवताओं का
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह विवाद के एक दर्जन से अधिक मुकदमों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के बाद यहां एक अदालत में यह घोषित करने के लिए एक याचिका दायर की गई है कि संपूर्ण श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर याचिकाकर्ता देवताओं का है।
जिले के सरकारी वकील (सिविल) संजय गौड़ ने कहा, ‘‘यह आदेश पारित करने की प्रार्थना की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा का पूरा परिसर याचिकाकर्ता देवताओं का है।’’ उन्होंने बताया कि मुकदमा सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) मथुरा की अदालत में दायर किया गया है। गौड़ ने कहा, ‘‘इस मुकदमे में पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच मुसलमानों को शामिल किया गया है।’’