देश की राजधानी नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में रविवार की देर शाम नकाबपोश लोगों ने जमकर उत्पात मचाया। 100 हमलावर करीब तीन घंटे तक कैंपस में दंगा करते रहे। इन हमलावरों ने सात हॉस्टल को निशाना बनाया। शिक्षक और छात्रों पर लाठी, डंडे और रॉड से प्रहार किया। इसमें करीब 26 लोग जख्मी हो गए।
प्रत्यक्षदर्शियों और घायलों ने बताया कि कैंपस में पहुंचे हमलावरों की संख्या करीब 100 के आसपास थी। वे सभी बाहरी थे और आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी से जुड़े हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस भीड़ को कैंपस में रोकने में और हिंसा पर तुरंत काबू पाने में नाकाम रही जबकि शिक्षक और छात्रों ने तुरंत पुलिस को सूचना दे दी थी। घायलों में 22 छात्र शामिल थे, जिनमें जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष, दो शिक्षक और दो गार्ड शामिल हैं, जिन्हें एम्स और सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को इस मामले की जांच का आदेश दिया है। एचआरडी मंत्रालय ने इस घटना की निंदा की है और इसके लिए बाहरी लोगों को दोषी ठहराया है। एचआरडी मंत्रालय ने कहा कि “अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी”। कई केंद्रीय मंत्रियों और जेएनयू के पूर्व छात्रों, जैसे कि निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर ने भी हिंसा की आलोचना की है।
मारपीट की यह घटना लगभग शाम 6:30 बजे शुरू हुई जब कैंपस में जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन द्वारा ‘शांति मार्च’ बुलाया गया था। एबीवीपी और वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं के बीच परिसर में हाथापाई होने के एक दिन बाद शिक्षक माहौल को सामान्य बनाने के लिए एकत्र हुए थे। बता दें कि कैंपस में हॉस्टल फीस बढ़ोतरी के खिलाफ लगभग तीन महीने से विरोध प्रदर्शन हो रहा है। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस लगभग 7.30 बजे परिसर के बाहर पहुंची। रविवार की रात तक कैंपस में 700 से अधिक पुलिसकर्मी मौजूद थे।
एबीवीपी ने दावा किया कि इसका हिंसा से उनका और उनके सदस्यों का कोई संबंध नहीं है और वास्तव में यह वामपंथी संगठनों द्वारा हमला किया गया था। वहीं सभी विपक्षी दलों ने “फासीवादी” ताकतों को दोषी ठहराते हुए हिंसा की निंदा की है। भाजपा ने इसे “अराजक ताकतों द्वारा एक हताश प्रयास बताया। भाजपा ने कहा कि यह उनके द्वारा किया गया है जो छात्रों को तोप के चारे के रूप में इस्तेमाल करते हैं और अपने कम होते राजनीतिक जनाधार को दूर करने के लिए अशांति पैदा करते हैं”। कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रियंका गांधी वाड्रा ने एम्स में घायल छात्रों का दौरा किया।
घायल छात्रों के प्रति हमदर्दी दिखाते हुए कुलपति एम जगदीश ने ट्वीट किया। साथ ही उन्होंने फीस वृद्धि पर विरोध के बारे में बात करते हुए कुलसचिव द्वारा जारी एक प्रेस नोट संलग्न किया और खेद व्यक्त किया कि “छात्रों का एक समूह उनके विरोध के हिंसा कर रहा है। हजारों गैर-आंदोलनकारी छात्रों की शैक्षणिक गतिविधियों को प्रभावित किया जा रहा है।”
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हमले से कुछ घंटे पहले नकाबपोशों की भीड़ पहले पेरियार हॉस्टल में इकट्ठा हुई थी। एक एसएफआई कार्यकर्ता सोरी कृष्णन उन लोगों में शामिल हैं जिनके ऊपर सबसे पहले प्रहार किया गया था। एम्स में भर्ती एमए के एक छात्र ने बताया, “नकाबपोशों की भीड़ ने पहले हमें हिंदी में गाली दी। जब मैंने इसका विरोध किया तो उन्होंने मेरे सिर पर रॉड से प्रहार किया। मेरे सिर में दो टांके लगे हैं और मेरे हाथ भी जख्मी हो गए।”
शिक्षकों ने कहा कि “लगभग 100 नकाबपोश लोग हाथों में लाठी और पत्थर” लेकर उनके मार्च की ओर बढ़े। उन्होंने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन नकाबपोशों ने उनके ऊपर हमला कर दिया। एक शिक्षक ने कहा कि एक पत्थर किसी का सिर फोड़ने के लिए काफी थे। प्रोफेसर शुक्ला सावंत ने कहा कि उन्हें सिर और पीठ पर चोट लगी थी। वे कहती हैं, “उन्होंने हमारे ऊपर पथराव शुरु कर दिया और हम सभी की पिटाई की।” प्रोफेसर अतुल सूद ने कहा, “पुलिस जेएनयू के गेट पर थी और यह सब हो रहा था। किसी ने इस भीड़ को नहीं रोका। अगले दो घंटों तक वे एक छात्रावास से दूसरे छात्रावास गए। उनका तांडव जारी रहा।”
मास्टर्स कोर्स की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने इंडियन एक्सप्रेस को फोन पर रात लगभग 9.45 बजे बताया, “जब भीड़ ने हमला करना शुरू किया, तो कई महिलाएं साबरमती हॉस्टल की महिला शाखा की ओर भाग गईं। हम सात लोगों को तीन घंटे से एक कमरे के अंदर बंद कर दिया गया है। यहां कई ऐसे लोग हैं जिनके सिर पर चोट लगी है।” छात्रों ने कहा कि कम से कम सात छात्रावासों पेरियार, साबरमती, ताप्ती, माही मंडावी, लोहित, कोयना और कावेरी को निशाना बनाया गया। दरवाजे टूटे हुए थे, खिड़कियां धंसी हुई थीं और छात्रों के सामान को तोड़ दिया गया था। एक वीडियो में महिलाओं का एक समूह को भीड़ से पीछे हटने के लिए कहते हुए दिख रहा है लेकिन पुरुषों ने उन पर हथियारों से हमला करने के लिए दौड़ रहे हैं।
साबरमती हॉस्टल में रहने वाले एक छात्र ने कहा कि हमलावरों ने उनसे पूछा कि क्या वे किसी वामपंथी समूह के हैं। उन्होंने कहा, “शाम 6:30 बजे लगभग 20 नकाबपोश लोग हॉस्टल में दाखिल हुए। वे कांच की बोतलों में कुछ द्रव्य, लाठी और लोहे की छड़ ले जा रहे थे। मैं दूसरी मंजिल पर रहता हूं और देख सकता था कि क्या हो रहा था। मैं अपने कमरे में रुका रहा। इस दौरान वे आए और मुझे धक्का दिया। मुझसे पूछा कि क्या मैं किसी वामपंथी दल से जुड़ा हूं। मैंने झूठ बोला कि ‘नहीं’। उन्होंने थोड़ी देर मेरे कमरे के चारों ओर देखा और फिर चले गए”। उन्होंने लगभग 10:30 बजे इंडियन एक्सप्रेस से बात की और कहा कि तब तक कोई सुरक्षा गार्ड या पुलिस कर्मी हॉस्टल में नहीं आया था।
जेएनयूएसयू अध्यक्ष घोष साबरमती हॉस्टल के पास घायल हो गईं और उन्हें एम्स ले जाया गया। उस समय घोष और उसकी बहन के साथ रहे निखिल मैथ्यू ने कहा कि उन्होंने भीड़ से हमला न करने की ‘गुहार’ लगाई लेकिन भीड़ ने उनकी एक बात न सुनी। घोष के सिर से खून बह रहा था। घोष ने कहा, “मैं बात करने की हालत में नहीं हूं।” डॉक्टरों ने कहा कि उसके माथे पर गहरे जख्म थे। एक बयान में जेएनयूएसयू ने हिंसा के लिए “एबीवीपी के गुंडे, ज्यादातर बाहरी” को दोषी ठहराया। छात्र संघ ने कहा, “बजरंग दल और ऐसे अन्य संगठनों के सदस्य मुख्य द्वार के बाहर छात्रों को गोली मारने के लिए कह रहे हैं। पुलिस यह सुनिश्चित क्यों नहीं कर रही है कि जेएनयू सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित स्थान है?”