सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें मॉडर्न नीरो कहा है। ‘द वायर’ में एक आर्टिकल लिखते हुए काटजू ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। काटजू ने लिखा ‘हाल ही में उल्टा प्रदेश (क्षमा करें, उत्तर प्रदेश) में जो चल रहा है, उस पर विचार करते हुए मेरा दिमाग चकरा रहा है। मैं 20 साल एक वकील और 20 साल एक जज था, इसलिए मुझे लगा कि मैं कानून के सिद्धांतों में पारंगत था, लेकिन अब मैं एक नया न्यायशास्त्र सीख रहा हूं जो केवल लुईस कैरोल के एलिस इन वंडरलैंड में पाया जा सकता है।

काटजू ने योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए लिखा “यूपी के शाहंशाह, मानहानि केस का डर है इसलिए मैं उन्हें मॉडर्न नीरो नहीं कह पा रहा हूं। जिन्होंने हाल ही में राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने वाले दर्जनों लोगों पर भारी जुर्माना लगाया है, वे उनकी दुकानों को सील और संपत्तियों को जब्त कर चुके हैं। और यह सब उन्होंने बिना किसी मुकदमे और बिना किसी क़ानून की मंजूरी से किया है।

उन्होंने आगे कहा “इसी प्रकार, कवि इमरान प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद के जिलाधिकारी राकेश सिंह द्वारा मुरादाबाद में ईदगाह पर सीएए का विरोध करने पर 1.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इस जुर्माने की गणना ईदगाह विरोध स्थल पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की दैनिक लागत के आधार पर की गई है।

काटजू ने आगे लिखा “डीएम ने कहा कि धरना प्रदर्शन से पहले उनकी अनुमति नहीं ली गई थी। लेकिन संविधान के अनुच्छेद 19(1) (बी) में कहा गया है: “सभी नागरिकों को शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के इकट्ठा होने का अधिकार है और इस मौलिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए डीएम की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।”

काटजू ने योगी आदित्यनाथ के अलावा राज्य के कई डीएम को शाहंशाह बताया। काटजू ने लिखा कि इस प्रदेश की धरती ऐसे कई शाहंशाहों की ब्रीडिंग कर रही है।