सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्केडेय काटजू ने गौ हत्या पर लगे प्रतिबंध को राजनीतिक साजिश कहकर एक और विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने गौ मांस पर बैन का विरोध करते हुए कहा कि मैं क्या खाता हूं इसका फैसला मैं करूंगा।
गौ मांस को प्रोटीन का सस्ता स्रोत बताते हुए काटजू ने कहा कि कोई मुझे यह नहीं बताएगा कि मुझे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
प्रेस परिषद के अध्यक्ष रहे काटजी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “मैंने इसे खाया है और अगर दोबारा खाने का मौका मिले तो मैं दोबारा खाऊंगा।”
अपने ब्लॉग पर लिखे लेख में गौ हत्या पर प्रतिबंध को ग़लत बताया बल्कि उन्होंने इसके पक्ष में पांच तर्क भी दिए।
* दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में लोग गौ मांस खाते है क्या वे बुरे लोग है, मैं इसमें कुछ भी गलत नहीं पाता।
* सस्ते प्रोटीन का गोमांस एक अच्छा स्रोत है, उत्तर-पूर्वी राज्यों में गोमांस की बिक्री पर बैन नहीं है, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और केरल में गोमांस की बिक्री पर बैन नहीं है।
* मैंने गौ मांस खाया है, लेकिन अपने परिवार के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैंने इसे खाना बंद कर दिया, लेकिन मौका मिलने पर मैं जरूर खाऊंगा।
* दुनिया में ज्यादातर लोग गोमांस खाते हैं, क्या वे सभी लोग पापी हैं, मुझे गोमांस खाने में कुछ गलत नहीं दिखता है।
* गौ हत्या के खिलाफ हल्ला करने वाले लोगों को उन गायों की भी फिक्र करनी चाहिए, जिन्हें ठीक से खाना नहीं मिलता है, कई बार मैंने गायों को कचड़ा खाते हुए देखा है, दिखती पसलियों के साथ गायों को आसानी से कहीं भी देखा जा सकता है।
काटजू ने लेख के अंत में लिखा है कि गौ हत्या पर प्रतिबंध राजनीतिक सोच के कारण लगाए जा रहे हैं। उन्होंने हाल ही में महाराष्ट्र में इसे बैन किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यहां पहले से पशु संरक्षण कानून 1976 है जिसमें गौ हत्या पर प्रतिबंध लगा है लेकिन बैल- भैंस की हत्या पर प्रतिबंध नहीं था। अब इसमें संशोधन करते हुए गौ हत्या पर भी प्रतिबंध लगा गया है। इससे कई लोगों बेरोज़गार हुए हैं, ये राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए लिया गया फैसला है।