फेसबुक की सुरक्षा टीम द्वारा बजरंग दल को संभावित खतरे के रूप में टैग किए जाने के बावजूद इसके खिलाफ एक्शन नहीं लिया गया। ‘द वॉल स्ट्रीट जनरल’ की एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। इसके अनुसार बजरंग दल को पूरे भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन करने वाले संगठन के रूप में फेसबुक ने टैग किया था। मगर इस संगठन को राजनीतिक और सुरक्षा कारणों से सोशल नेटवर्क पर बने रहने की अनुमति मिल गई।
अखबार ने लिखा है कि फेसबुक भारत में सत्तारुढ़ भाजपा के साथ संबंधों के कारण दक्षिणपंथी संगठन के खिलाफ कार्रवाई करने से डरता है। इसके अनुसार बजरंग दल पर नकेल कसने से कंपनी को भारत में व्यावसायिक गतिविधियों और उसके कर्मचारियों दोनों को खतरा हो सकता है। इस दावे के समर्थन में अखबार ने इस साल प्रकाशित हुए उसकी एक रिपोर्ट का हवाला दिया है।
अगस्त में जनरल ने फेसबुक नीतियों में कथित पूर्वाग्रह होने की रिपोर्ट की थी। इसमें देश की सत्ता पर काबिज भाजपा को फेसबुक के व्यापारिक हितों के पक्ष में बताया गया था। रिपोर्ट कहा गया कि फेसबुक की एक पूर्व एक्जीक्यूटिव अंखी दास ने मुस्लिम विरोधी कमेंट करने वाले सत्ताधारी दल के एक नेता का पक्ष लेते हुए उसकी पैरवी की थी।
हालांकि रिपोर्ट सामने आने के कुछ दिन बाद फेसबुक ने उस नेता को सोशल साइट पर बैन कर दिया था। तब फेसबुक ने रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का खंडन किया था। मगर ये भी स्वीकार किया कि हेट स्पीच पर लगाम कसने के लिए बेहतर कदम उठाने होंगे। इसके कुछ दिन बाद अंखी दास ने कंपनी छोड़ दी।
अब अपनी ताजा रिपोर्ट में द वॉल स्ट्रीट जनरल ने दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल के एक वीडियो और उस पर फेसबुक की कार्रवाई की हवाला दिया। वीडियो में संगठन ने एक चर्च पर हमले की जिम्मेदारी लेने का दावा किया जिसे ढाई लाख बार देखा गया।
अखबार के अनुसार भारत में सत्तारुढ़ हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं, बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने से फेसबुक के कर्मचारियों या कंपनी की फैसिलिटीज पर हमले होने का खतरा है। बकौल अखबार ऐसा फेसबुक की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था।