महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का चेहरा बन चुके मनोज जरांगे को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका लगा है। जोर देकर कहा गया है कि वे प्रशासन से बिना इजाजत लिए किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं। असल में मनोज जरांगे ने मुंबई कूच का ऐलान किया था, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर वे एक बार फिर राज्य में अपना प्रदर्शन तेज करने वाले थे। लेकिन उससे पहले ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें झटका दिया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट का साफ कहना है कि जरांगे को पहले प्रशासन से इजाजत लेनी होगी, अगर वो मिलती है, उसी स्थिति में वे प्रदर्शन कर पाएंगे। वैसे कोर्ट की सुनवाई से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी जरांगे से मुलाकात की थी। उन्होंने अपील की थी कि वे शुक्रवार को अपना विरोध प्रदर्शन ना करें क्योंकि तब गणेश उत्सव की तैयारी जोरों पर होगी।
जानकारी के लिए बता दें कि जरांगे ने सिर्फ मंगलवाल (26 अगस्त) तक का ही अल्टीमेटम दिया था, साफ शब्दों में कहा गया था कि अगर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिला तो सरकार को प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा था कि वे 29 अगस्त को मुंबई के मंत्रालय तक विशाल मार्च निकालेंगे। उनका साफ कहना था कि जब तक मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण और ‘सगे-संबंधी प्रमाणपत्र’ के आधार पर सरकारी लाभ नहीं मिलता, वे पीछे नहीं हटेंगे। अब सीएम फड़नवीस चाहते थे कि जरांगे अपने उसी प्रदर्शन को आगे के लिए स्थगित कर दें।
लेकिन इस बीच बॉम्बे हाई कोर्ट ने ही जरांगे को विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी है। जब तक उन्हें प्रशासन द्वारा हरी झंडी नहीं दिखाई जाती, वे कोई प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे।