भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। 92 साल के मनमोहन सिंह को कल शाम तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। इस सबके बीच आइए जानते हैं मनमोहन सिंह के कांग्रेस चेयरपर्सन सोनिया गांधी के साथ कैसे संबंध थे और किस तरह से वह प्रणब मुखर्जी को हराकर प्रधानमंत्री पद की रेस में आगे निकले?

मई 2004 में कांग्रेस चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कांग्रेस और भारतीय राजनीति को चौंकाते हुए प्रधानमंत्री बनने से इनकार करते हुए मनमोहन सिंह को पीएम बनाया था। हालांकि, सोनिया गांधी ने पद को अस्वीकार क्यों क्या यह अभी भी कई लोगों के लिए रहस्य है।

नटवर सिंह जो कभी 10, जनपथ के अंदरूनी सदस्य थे, उन्होंने अपनी आत्मकथा में दावा किया है कि उन्होंने अपने बेटे राहुल के दबाव के कारण प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया जो उनकी जान के लिए डरते थे। उस समय पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भी इस दौड़ में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन उन्हें पता था कि उनकी बारी नहीं आएगी, सोनिया गांधी मनमोहन को प्राथमिकता देंगी।

‘सत्ता सौंपी गई लेकिन अधिकार नहीं’

सालों बाद मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने अपनी पुस्तक द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह में प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह और पार्टी प्रमुख के रूप में सोनिया गांधी के बीच सत्ता-साझाकरण मॉडल का मूल्यांकन करते हुए लिखा, “सत्ता सौंपी गई लेकिन अधिकार नहीं।” कई महत्वपूर्ण फाइलों को मंजूरी के लिए 10, जनपथ ले जाने की बात भी कही जाती थी।

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कैसे थे मनमोहन और सोनिया के संबंध?

‘कमजोर’ प्रधानमंत्री की धारणा को तब और बल मिला जब नटवर सिंह जो UPA-1 सरकार में मंत्री थे, ने अपनी पुस्तक में दावा किया कि आधिकारिक फाइलें नियमित रूप से पीएमओ के अधिकारी पुलक चटर्जी द्वारा सोनिया गांधी के पास ले जाई जाती थीं। सत्ता में मुश्किल साझेदारी के बावजूद, गांधी और सिंह के बीच एक-दूसरे के लिए बहुत सम्मान था।

भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर प्रधानमंत्री से पार्टी पूरी तरह से खुश नहीं थी। इस मुद्दे पर सरकार का अहम हिस्सा रहे एक नेता ने खुलासा किया कि उन्हें सोनिया गांधी ने यह समझा दिया था कि स्थिति बिगड़ने वाली नहीं है। वह एकदम स्पष्ट थीं कि मनमोहन सिंह ही अंतिम फैसला लेंगे और उन्होंने ऐसा किया।

सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए रखा

शायद यही वजह है कि 2009 में परमाणु समझौते के बाद अप्रत्याशित चुनावी जीत के बाद सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए रखा और प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति पद के लिए चुना। 2014 में कांग्रेस की अपमानजनक हार के बाद भी यह गर्मजोशी और सौहार्द बरकरार रहा, जिसका मुख्य कारण मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार के खिलाफ लोगों का भारी गुस्सा था।

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इसका एक कारण निश्चित रूप से यह था कि श्रीमती गांधी को इस बात का अहसास था कि पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद कांग्रेस द्वारा किस तरह दरकिनार किया गया था और किस तरह से उनकी मृत्यु के बाद भी उनका अपमान किया गया था।

सोनिया गांधी ने यह सुनिश्चित किया कि 2014 के चुनाव में हार का दोष सीधे तौर पर मनमोहन सिंह पर न आए। वह अप्रैल 2024 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। 2018 में मुंबई में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सोनिया गांधी से पूछा गया कि उन्होंने 2004 में प्रधानमंत्री बनने का मौका क्यों छोड़ दिया और मनमोहन सिंह का नाम क्यों लिया, जिस पर उन्होंने कहा, “मुझे अपनी सीमाएं पता थीं। मुझे पता था कि मनमोहन सिंह मुझसे बेहतर प्रधानमंत्री होंगे।” Manmohan Singh Death News Update