दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तिहाड़ जेल से रिहाई हो गई है। रिहाई के बाद से ही वो बीजेपी और मोदी सरकार पर हमलावार नजर आ रहे हैं। जेल से बाहर आने के बाद सिसोदिया सबसे पहले अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। जहां उन्होंने सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की। जेल से बाहर आने के बाद एक तरह सिसोदिया पर जहां दिल्ली सरकार को सुचारू रूप देने की जिम्मेदारी है तो वहीं आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत भी करना है।
सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद दिल्ली सरकार के कामकाज को पटरी पर लौटने की उम्मीद की जा रही है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सिसोदिया को अभी उनके पुराना पद बहाल नहीं किया जाएगा। यानी उनको उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि अभी मुख्यमंत्री केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। ऐसे में जबतक केजरीवाल दिल्ली के उप राज्यपाल को अपने मंत्रिमंडल विस्तार की जानकारी नहीं देगें तबतक विस्तार संभव नहीं है। जो उम्मीद कम दिख रही है।
जेल जाने से पहले सिसोदिया दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री थे। इस दौरान उनके पास वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य, आबकारी, पीडब्ल्यूडी सहित 18 विभागों का जिम्मा था। सिसोदिया आम आदमी पार्टी में नंबर दो हैसियत वाले नेता है। अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में सिसोदिया ही मुख्यमंत्री का भी कार्य देखते थे। उनके जेल जाने के बाद उनके विभाग सौरभ भारद्वाज और आतिशी के पास हैं।
मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद थे सिसोदिया
बीती 26 फरवरी 2023 से ईडी ने मनी लांड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में थे। तब से लेकर सिसोदिया 17 महीने जेल में रहे। हालांकि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी। जमानत देने के साथ ही कोर्ट ने सिसोदिया को लेकर कहा कि ये समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। हालांकि सिसोदिया को देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। इसके लिए उनका पासपोर्ट जमा करा लिया गया है। जबकि उनको हर सोमवार थाने में अपनी हाजिरी भी लगानी होगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है प्रभाव
मनीष सिसोदिया को जेल से रिहाई जरूर मिल गई हो लेकिन मामला खत्म नहीं हुआ है। उसी मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल सलाखों के पीछे हैं। सिसोदिया पर ईडी और सीबीआई की जांच चल रही है जो उनके करियर में बड़ा दाग है। इन दागों से निकलना भी अब सिसोदिया के लिए चुनौती होगी। आगामी विधानसभा चुनाव में केजरीवाल और सिसोदिया को इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।