Manipur Violence: मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। इसको लेकर मैतई समुदाय के नौ विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। पत्र लिखने वालों में आठ बीजेपी के विधायक हैं, जबकि एक विधायक निर्दलीय हैं, जिसने सरकार को अपना समर्थन दिया है। इन नौ विधायकों ने सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा है। जिसमें कहा गया है कि जनता का वर्तमान राज्य सरकार में भरोसा नहीं रहा है। लोगों का सरकार से भरोसा टूट चुका है।
उसी दिन 30 मैतई विधायकों को एक अलग प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। इसमें ज्यादातर बीजेपी के विधायक थे। जबकि एक-एक एनपीपी और जद (यू) से थे। पत्र लिखने वाले नौ विधायकों में से एक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बीजेपी एक विभाजित पार्टी नहीं है, अलग-अलग एक्शन गलतफहमी के कारण थे।
इन नौ विधायकों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
जिन नौ विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। उनमें- करम श्याम सिंह, थ राधेश्याम सिंह, निशिकांत सिंह सपम, ख रघुमणि सिंह, एस ब्रोजेन सिंह, टी रोबिंद्रो सिंह, एस राजेन सिंह, एस केबी देवी और वाई राधेश्याम हैं। अप्रैल में इन नौ विधायकों में चार ने जिसमें- करम श्याम सिंह, थ राधेश्याम सिंह, एस ब्रोजन सिंह और ख रघुमणि सिंह ने सरकार में विभिन्न प्रशासनिक और सलाहकार पदों से इस्तीफा दे दिया था। जिससे एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाले शासन में कलह पैदा होने की अटकलों को बल मिला।
हिंसा में अब तक 110 से ज्यादा लोगों की मौत
इस हिंसा में अब तक 110 से अधिक लोग मारे गए हैं। जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। हिंसा को देखते हुए राज्य सरकार ने मणिपुर में 25 जून तक इंटरनेट पर रोक बढ़ा दी है। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कई कदम उठाए जाने के बावजूद धरातल पर कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है। सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
जानिए पत्र में क्या लिखा गया-
पत्र में कहा गया है कि हर समुदाय और हर व्यक्ति शांति की बहाली चाहता है। वर्तमान में लोगों का सरकार और प्रशासन पर कोई भरोसा और विश्वास नहीं है। जनता का वर्तमान राज्य सरकार पर से पूर्ण विश्वास उठ गया है। कानून के शासन का पालन करते हुए सरकार को समुचित प्रशासन और कामकाज के लिए कुछ विशेष उपाए करने चाहिए, ताकि आम जनता का विश्वास बहाल हो सके। सपम ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कार्रवाई “बहुत अलग दिख रही, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि हम सभी मणिपुर का कल्याण चाहते हैं”।
सपम ने उन्होंने कि असम के सीएम के मणिपुर आने से एक दिन पहले 25 विधायकों, जिनमें अधिकांश मंत्री शामिल थे, लेकिन सीएम नहीं थे। सभी ने मणिपुर विधानसभा में अध्यक्ष के कक्ष में बैठक की। वहां हमने दिल्ली जाने का फैसला किया था, क्योंकि जनता का दबाव बहुत ज्यादा था। अध्यक्ष ने कहा कि इसे सीएम को दिखाते हैं, क्योंकि वह सदन के नेता हैं। दिखाया गया, लेकिन कुछ नहीं निकला…12 तारीख को मैंने सीएम से कहा कि मैं अगले दिन दिल्ली जा रहा हूं क्योंकि मुझ पर बहुत ज्यादा दबाव था।’
उन्होंने कहा कि अन्य विधायक बाद में उनके साथ शामिल हो गए। उन्होंने 15 जून को पीएम से मिलने का समय मांगा। रविवार को मैंने सुना कि विधानसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में विधायकों का एक ग्रुप दिल्ली आया है। हमारे ग्रुप को बताया गया कि इसमें हमारे नाम नहीं हैं, इसलिए हम रक्षा मंत्री के साथ बैठक में नहीं जा सके। हमें पता चला कि प्रधानमंत्री अगले दिन अमेरिका के लिए रवाना हो रहे हैं, इसलिए हमने ज्ञापन सौंपा।’
