Manipur Violence: मणिपुर में जारी हिंसा जस की तस बनी हुई है। इसको लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। यह घटनाक्रम दिल्ली में अमित शाह के नेतृत्व में एक सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों द्वारा मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग दोहराए जाने के एक दिन बाद आया।
एन बीरेन सिंह आज सुबह इंफाल से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे। उन्होंने अमित शाह से उनके आवास पर करीब 45 मिनट तक मुलाकात की। सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह से मणिपुर की स्थिति और राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराया। सूत्रों ने बताया कि बाद में वह फिर से मणिपुर के लिए रवाना हो गए।
13 जून के बाद राज्य में कोई मौत नहीं हुई: मुख्यमंत्री
अमित शाह से बैठक के बाद बीरेन सिंह ने ट्वीट किया, “गृह मंत्री ने भरोसा दिया है कि केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति लाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।” उन्होंने कहा कि अमित शाह की कड़ी निगरानी में राज्य और केंद्र सरकार ने हिंसा पर काफी हद तक काबू पा लिया है। 13 जून के बाद अब तक राज्य में हिंसा से कोई मौत नहीं हुई है।
यह बैठक अमित शाह द्वारा 18 दलों के साथ सर्वदलीय बैठक के एक दिन बाद हुई, जो मणिपुर हिंसा पर केंद्रित थी। कई विपक्षी दलों ने सुझाव दिया कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा करना चाहिए। 4 घंटे तक चली बैठक के दौरान कुछ दलों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को तत्काल बर्खास्त करने और भाजपा शासित राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की थी।
सर्वदलीय बैठक में अमित शाह ने कहा कि मणिपुर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है और 13 जून के बाद से पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा के कारण एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। उन्होंने बैठक में कहा कि मोदी सरकार मणिपुर की समस्या का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शाह ने कहा था कि मणिपुर में स्थिति को शांत करने और शांति बहाल करने में मदद के लिए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की मांग करते हुए बैठक बुलाई थी। बैठक में भाजपा, कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, तृणमूल कांग्रेस, मिजो नेशनल फ्रंट, बीजेडी, एआईएडीएमके, डीएमके, राजद, समाजवादी पार्टी, आप समेत कई पार्टियां शामिल हुईं थी।
इससे पहले, 9 बीजेपी विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य के लोगों ने एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पर पूरा भरोसा खो दिया है। विधायकों ने पीएम मोदी को पांच सूत्री ज्ञापन सौंपते हुए कहा था कि राज्य के लोगों का सरकार और प्रशासन पर भरोसा नहीं है।
अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं थीं, जिसने बाद में हिंसा का रूप ले लिया। इस हिंसा में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग राज्य से पलायन कर चुके हैं।