पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन में एंटी करप्शन सेल स्थापित की तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फिर से गुस्सा आ गया। उन्होंने गवर्नर की तीखी आलोचना की और इसे राज्य प्रशासन के कामकाज में हस्तक्षेप का प्रयास करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बोस भाजपा के निर्देशों के तहत काम कर रहे हैं। वो राज्यपाल की तरह से नहीं बल्कि बीजेपी नेता की तरह से बर्ताव कर रहे हैं।
ममता बनर्जी ने कहा- मैंने सुना है कि राज्यपाल ने एक एंटी करप्शन सेल गठित की है। यह राजभवन का काम नहीं है। हम राज्यपाल का सम्मान करते हैं। वह खुद से प्रकोष्ठों को गठित कर रहे हैं। वह अनावश्यक रूप से राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रहे हैं। ममता ने कहा कि राज्यपाल की जिम्मेदारियां संविधान में तय की गई हैं। उन्होंने कहा- मैं देख सकती हूं कि वह एक मास्क लगाए हुए हैं। भाजपा के निर्देशों के तहत काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बोस ने अपने गृह राज्य केरल के एक ऐसे व्यक्ति को बंगाल के एक विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्त किया है, जिसके पास शिक्षा के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है।
राजय्पाल सीवी बोस ने तृणमूल के आरोप को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रकोष्ठ दूसरे के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसी पहल आम लोगों को सक्षम अधिकारियों के पास अपनी शिकायतें भेजने में मदद करेगी।
हम खुद को लक्ष्मणरेखा के अंदर रखने का प्रयास करेंगे- बोस
उनका कहना है कि हिंसा के दौर में राजभवन ऐसे लोगों का मित्र बनने का प्रयास कर रहा है जिनके दोस्त नहीं हैं। जब शांति कक्ष की स्थापना की गई थी तब भी आशंकाएं थीं। शांति कक्ष ने क्या हासिल किया। हम किसी अन्य के कार्यक्षेत्र का अतिक्रमण करने का प्रयास नहीं करेंगे। एक चीज है जिसे लक्ष्मण रेखा कहा जाता है। हम खुद को लक्ष्मणरेखा के अंदर रखने का प्रयास करेंगे।
दिल्ली की टसल सीजेआई की कोर्ट के साथ संसद तक पहुंची
हाालंकि सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि गैर बीजेपी शासित सूबों की शिकायत है कि गवर्नर बीजेपी के एजेंट की तरह से काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र के मामले में सीजेआई चंद्रचूड़ ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका पर टिप्पणी भी की थी। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लेफ्टिनेंट की एलजी से रार सुप्रीम कोर्ट के साथ संसद में हंगामा मचा रही है। एक तरफ सरकार ने दिल्ली आर्डिनेंस को लेकर संसद में बिल पेश कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ सीजेआई खुद संवैधानिक बेंच के जरिये केंद्र के फैसले की सुनवाई करने का ऐलान कर चुके हैं।