पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी औप पीएम नरेंद्र मोदी के बीच की तल्खी किसी से छिपी नहीं है। दोनों किसी ने किसी मुद्दे पर एक दूसरे से उलझते रहते हैं। ताजा मामला गणतंत्र दिवस पर निकलने वाली परेड को लेकर है। केंद्र ने बंगाल सरकार की प्रस्तावित झांकी को कैंसिल कर दिया तो ममता ने मोदी को चिट्ठी लिखकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दुहाई दे डाली।

पश्चिम बंगाल की झांकी को बाहर करने के केंद्र के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हैरानी जताई है। उन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उनका कहना है कि राज्य के लोगों को इस कदम से पीड़ा होगी। ममता ने कहा कि झांकी को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया। अपने पत्र में उन्होंने कहा- वो गणतंत्र दिवस परेड से पश्चिम बंगाल सरकार की प्रस्तावित झांकी को अचानक बाहर करने के निर्णय से स्तब्ध और आहत हैं। यह उनके लिए और भी चौंकाने वाली बात है कि झांकी को बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिन्द फौज के योगदान की स्मृति में बनाई गई थी। ममता ने पत्र में कहा- मैं आपको बताना चाहती हूं कि पश्चिम बंगाल के लोग केंद्र सरकार के इस रवैये से बहुत आहत हैं। यह जानकर हैरानी होती है कि यहां के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर गणतंत्र दिवस समारोह में जगह नहीं मिली है।

ममता ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा- मैं आपसे इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर गणतंत्र दिवस परेड में पश्चिम बंगाल के स्वतंत्रता सेनानियों की झांकी को शामिल कराने का आग्रह करती हूं। ध्यान रहे कि बंगाल चुनाव के पहले शुरू हुई खटपट अभी तक जारी है। चुनाव के दौरान मोदी-शाह ने ममता पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ा तो चुनाव बाद मुख्य़ सचिव अल्पन के मसले पर दोनों भिड़े थे।

हालांकि, अब ममता का सारा जोर कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने पर है। वो गोवा में ताल ठोंक रही हैं तो दिल्ली आकर कांग्रेस के बगैर मोदी से लड़ने की रणनीति भी बना रही हैं। उनके इस कदम से विपक्षी दल भी भौचक्के हैं। शिवसेना ने तो साफ तौर र कहा भी है कि इससे भाजपा को ही फायदा मिलने जा रहा है।