पश्चिम बंगाल पुलिस ने बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी के बॉडीगार्ड की कथित आत्महत्या के मामले को फिर से खोलने का फैसला किया है। यह मामला 2018 का है जब नेता के बॉडीगार्ड ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी। पुलिस दोबारा से मामले की जांच करेगी। यह जांच ऐसे वक्त में की जा रही है जब केंद्र सरकार की कई एजेंसियां टीएमसी के नेताओ के पीछे हैं। वहीं ममता सरकार का यह फैसला उसी संदर्भ में देखा जा रहा है।

यह मामला 2018 का है जब सुवेंदु ममता सरकार में मंत्री हुआ करते थे। मामले की जांच दोबारा शुरू करने के पीछे बंगाल पुलिस का तर्क है कि वह मामले के दूसरे पहलुओं की जांच करना चाहते हैं। वहीं, इस बीच भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में लौटे वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय को विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया।

इस फैसले के विरुद्ध विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया और घोषणा की कि अब से भाजपा सदस्य सदन की किसी समिति की अध्यक्षता नहीं करेंगे। कृष्णनगर उत्तर से आधिकारिक रूप से भाजपा के विधायक रॉय पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे।

हालांकि उन्होंने भाजपा के कई बार कहने के बावजूद विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया था। रॉय को जून में निर्विरोध पीएसी के 20 सदस्यों में एक चुना गया था। 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में 41 समितियां हैं और पीएसी सदन की लेखा संबंधी निगरानी रखती है।

सदन में वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक पारित होने के बाद पीएसी प्रमुख की नियुक्ति की घोषणा की गयी। अधिकारी ने कहा कि नियमों के अनुसार सामान्यत: किसी विपक्षी विधायक को पीएसी का अध्यक्ष चुना जाता है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने नियम का दुरुपयोग करते हुए रॉय को अध्यक्ष बनवाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पीएसी में छह विधायकों का प्रस्ताव दिया था। भाजपा ने कभी मुकुल रॉय के नाम की सिफारिश नहीं की। वह सार्वजनिक रूप से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, लेकिन फिर भी उन्हें नियमों की अवहेलना करते हुए पीएसी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह सरकार लोकतंत्र में भरोसा नहीं करती।’’