राज्य की मुख्मंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बजर्नी के भतीजे और पार्टी के सांसद अभिषेक बनर्जी ने यह कह कर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि राज्य सरकार ने माओवादी नेता किशनजी की हत्या करवाई थी। यह टिप्पणी राज्य सरकार के उस रुख से परे है, जिसमें कहा गया था कि किशनजी की मौत अर्धसैनिक बलों के संयुक्त अभियान में एक मुठभेड़ में हुई थी। विपक्षी दलों, मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके इस बयान पर ममता बनर्जी से सफाई मांगी है।

तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के बेलपहाड़ी में शुक्रवार रात आयोजित जनसभा में यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि इलाका रोजाना हत्याओं का गवाह रहा है। इसके पीछे 2008 से यहां बढ़ रहे माओवादी प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद केवल एक व्यक्ति की मौत हुई और वह थे माओवादी नेता किशनजी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने उन्हें मारकर यह साबित कर दिया है कि भविष्य में लोगों के शब्द अंतिम होंगे।

मालूम हो कि किशनजी माओवादी आंदोलन के प्रमुख चेहरा होने के साथ-साथ उसके मुख्य कमांडरों में से एक थे। साल 2011 में पश्चिमी मेदिनीपुर के जंगल में किशनजी के मारे जाने की खबर आने के बाद आरोप लगा था कि अर्धसैनिक बलों ने हिरासत में उनकी हत्या की है। बाद में मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘मैंने सुरक्षा बलों से घटना के बारे में पूछा था कि आपने उन्हें आत्मसमर्पण करने का मौका क्यों नहीं दिया, तो उनकी तरफ से बताया गया कि किशनजी को आत्मसमर्पण के लिए तीन दिन का वक्त दिया गया था, लेकिन उनकी तरफ से गोलीबारी की गई’। इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी सरकार को जमकर घेरा था।

अभिषेक के बयान पर विपक्षी पार्टियों ने मुख्यमंत्री से सफाई मांगी है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, ‘कानून का पालन न करना तो तृणमूल कांग्रेस शासन की निशानी है। ममता बनर्जी की सरकार में सब कुछ ठीक होने को सही ठहराते हुए उसके सांसद भतीजे ने अजीबोगरीब बयान दिया है कि माओवादी नेता को ममताजी के निर्देश पर मारा गया। इससे यह स्वीकार कर लिया गया कि यह राज्य प्रायोजित हत्या थी’। भाजपा नेता ने पूछा कि क्या ममता अपने भतीजे के बयान से सहमति जताएंगी।

वहीं माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने भी ममता से सफाई मांगी। उन्होंने कहा, ‘अभिषेक बनर्जी ने सच्चाई उजागर कर दी है। ममता जब विपक्ष में थीं तो उन्होंने माओवादी नेता आजाद को मारे जाने के मामले में जांच की मांग की थी। लेकिन जब वे सत्ता में आ गर्इं तो उन्होंने खुद ही किशनजी को मारने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया। सरकार किसी को नहीं मार सकती। किसी को सजा देने के लिए तय कानूनी प्रक्रिया है’।

मानवाधिकार कार्यकर्ता रंजीत सुर ने कहा कि किशनजी की मौत के मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का यह कहना आज अभिषेक बनर्जी के बयान से साबित हो गया कि योजनाबद्ध तरीके से उनकी हत्या की गई। चित्रकार समीर आइच ने कहा कि अभिषेक एक सांसद हैं, इसलिए उन्होंने काफी सोच-समझकर ही यह बात कही होगी।

अभिषेक बनर्जी अपने विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस प्रशासन को चुनौती देने वालों को धमकी देते हुए कहा था कि उनकी आंखें निकाल ली जाएंगी और हाथ काट दिए जाएंगे। इस मामले में भाजपा ने अभिषेक पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

सच्चाई पर मांगी सफाई:

इलाका रोजाना हत्याओं का गवाह रहा है। इसके पीछे 2008 से यहां बढ़ रहे माओवादी प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन तृणमूल सरकार के सत्ता में आने के बाद केवल एक व्यक्ति की मौत हुई और वह थे माओवादी नेता किशनजी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने उन्हें मारकर यह साबित कर दिया है कि भविष्य में लोगों के शब्द अंतिम होंगे।… अभिषेक बनर्जी, तृणमूल सांसद

मैंने सुरक्षाबलों से घटना के बारे में पूछा था, तो उनकी तरफ से बताया गया कि किशनजी को आत्मसमर्पण के लिए तीन दिन का वक्त दिया गया था, लेकिन उनकी तरफ से गोलीबारी की गई।… माओवादी नेता की हत्या पर मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा था

कानून का पालन न करना तो तृणमूल कांग्रेस शासन की निशानी है। अब स्वीकार कर लिया गया कि किशनजी की हत्या राज्य प्रायोजित थी।… सिद्धार्थ नाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव

अभिषेक बनर्जी ने सच्चाई उजागर कर दी है। ममता जब विपक्ष में थीं तो उन्होंने माओवादी नेता आजाद को मारे जाने के मामले में जांच की मांग की थी। लेकिन जब वे सत्ता में आ गर्इं तो उन्होंने खुद ही किशनजी को मारने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया। सरकार किसी को नहीं मार सकती। किसी को सजा देने के लिए तय कानूनी प्रक्रिया है।… मोहम्मद सलीम, माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य

(एजंसी)