केंद्र सरकार ने इस बात को सिरे से खारिज किया है कि पीएम मोदी ने बंगाल सीएम ममता को मीटिंग से जाने की अनुमति दी थी। सरकार का कहना है कि ममता सरासर झूठ बोल रही हैं। वो अपनी मर्जी से बैठक छोड़कर इस वजह से गईं क्योंकि वहां बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी मौजूद थे। ममता उन्हें पसंद नहीं करती हैं।
सूत्रों का कहना है कि ममता का ये दावा भी गलत है कि उन्हें पीएम से मिलने से पहले काफी देर इंतजार करना पड़ा था। उधर, ममता का कहना है कि पीएम की सुरक्षा में लगी एसपीजी ने मुझे एक घंटे रुकने के लिए कहा था। उनका कहना था कि तूफान से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए बुलाई बैठक दरअसल पीएम-सीएम की नहीं थी। वह तो शिष्टाचार के नाते पीएम से मिलने गई थीं। ममता ने सवाल किया कि इस बैठक में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी का क्या काम था? मुझे किसी केंद्रीय मंत्री के इस बैठक में होने पर कोई आपत्ति नहीं।
ममता बनर्जी ने कहा कि पीएमओ ने उन्हें अपमानित किया। उनकी छवि खराब करने के लिए ट्वीट किए गए। तूफान की समीक्षा बैठक में भाजपा नेताओं व राज्यपाल को क्यों बुलाया गया। ममता ने सवाल किया कि पिछले दो वर्षों में संसद में विपक्ष के नेताओं की कोई आवश्यकता क्यों नहीं थी। गुजरात में विपक्षी नेताओं को ऐसी बैठकों में क्यों नहीं बुलाया गया।
ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी की मीटिंग में 30 मिनट लेट पहुंचने और कागजात देकर निकल जाने के आरोप का भी जवाब दिया। शनिवार को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह स्पष्टीकरण दिया। ममता ने बताया कि पीएम से मुलाकात के पहले क्या हुआ। ममता ने इसका भी जवाब दिया कि क्यों उन्होंने पीएम मोदी को रिसीव नहीं किया।
गौरतलब है कि यास तूफान की समीक्षा बैठक के बाद मोदी ममता के रिश्ते बेहद खराब दौर में पहुंच गए हैं। यहां तक कि केंद्र ने ममता के मुख्य सचिव की दिल्ली तबादला कर दिया। लेकिन ममता ने उन्हें रिटायर करके अपना चीफ एडवाइजर बना दिया।