ममता बनर्जी ने पूरे विपक्ष का मोदी के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है और इसी सिलसिले में वह नेताओं से मुलाकात करने के लिए दिल्ली आने वाली हैं। इससे पहले वह टीएमसी के संसदीय दल की अध्यक्ष भी बन गई हैं। डेरेक ओ ब्रायन ने शुक्रवार को यह ऐलान किया है। वह ऐसे कुछ गिने-चुने नेताओं में से एक हो गई हैं जिन्होंने बिना सांसद बने ही संसदीय दल की अध्यक्षता की है। बता दें कि ममता बनर्जी इस समय न तो सांसद हैं और न ही विधायक हैं।
दरअसल, नंदीग्राम सीट पर उनकी हार हुई थी। उन्हें भाजपा के सुवेंदु अधिकारी से मात मिली थी। हालांकि ममता बनर्जी ने यह हार स्वीकार नहीं की है और मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया है। अब ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में आने का प्लान बना रही हैं। दिल्ली जाने से पहले उन्होंने अपने सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को चेयरमैन के पद से हटाकर खुद जिम्मेदारी संभाल ली है।
बिना सांसद बने संसदीय दल की अध्यक्ष बनने वाले नेताओं में सोनिया गांधी भी शुमार हैं। 1998 में जब उन्होंने पार्टी की कमान संभाली थी तब संसदीय दल की चीफ भी बनी थीं। ममता बनर्जी के नाम का ऐलान करते हुए डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘ममता बनर्जी सात बार सांसद रह चुकी हैं। वह संसदीय दल को निर्देश देने के लिए तैयार हैं। यह एक रणनीतिक फैसला है।’
बता दें कि यह फैसला तब किया गया है जब कि संसद में भी हंगामा हो रहा है। इसी बीच टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने मंत्री अश्विनि वैष्णव के हाथ से पेपर लेकर फाड़ दिया और इसके बाद माहौल और गरम हो गया। शांतनु से सदन से बाहर जाने की बात कही गई लेकिन वह नहीं माने। बाद में उन्हें इस सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया।
ब्रायन ने इस मामले में कहा, मुझे शांतनु के निलंबन से दिक्कत नहीं है क्योंकि जनता भाजपा को सत्ता से निलंबित करेगी। हमारी सांसद महुआ मोइत्रा भी उनके निलंबन के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाएंगी।