देशभर में आज मकर संक्रांति का त्योहार मनाया गया। आंध्र प्रदेश में हर बार के संक्रांति त्योहार की तरह मुर्गों की खूनी लड़ाई का विवादित खेल कराया जाता है। इस वार्षिक कार्यक्रम में अच्छी तरह से प्रशिक्षित मुर्गों को पैरों में धारदार चाकू बांधकर एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाया जाता है।

राज्य के कई गांव और कस्बे इस बार भी सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय समारोह के केंद्र बन गए हैं जिसमें मुर्गों की खूनी लड़ाई का विवादित खेल और इससे संबंधित जुआ शामिल है। भोगी उत्सव के दिन से शुरू होने वाले इस वार्षिक कार्यक्रम में अच्छी तरह से पाले गए और प्रशिक्षित मुर्गों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाया जाता है। इन मुर्गों के पैरों में स्केलपेल-धारदार चाकू बांधकर लड़ाया जाता है, जो अपने मालिकों और सट्टेबाजों के अच्छे भाग्य को सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष करते हैं।

मुर्गों की लड़ाई गोदावरी क्षेत्र के जिलों में प्रमुख आकर्षण है

मुर्गों की लड़ाई जुआ का प्रमुख आकर्षण हैं, विशेष रूप से गोदावरी क्षेत्र के जिलों में। हरे-भरे धान के खेतों और ताड़ के पेड़ों के पास सड़क के किनारे या मैदानों में लोग इसके लिए एकत्र होते हैं। अकेले इन क्षेत्रों में मुर्गों की लड़ाई के दौरान करोड़ों रुपये दांव पर लगाए जाते हैं। स्थानीय नेताओं, राजनीतिक नेताओं के संरक्षण और पुलिस द्वारा इसे नजरअंदाज करने से मुर्गों की लड़ाई देखने हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है जहां खुलेआम शराब परोसी जाती है।

मुर्गों की लड़ाई के लिए बनाए जाते हैं अस्थायी केंद्र

सट्टेबाजों की धूम और ऊंचे दांव के बीच, लड़ाई में शामिल दोनों मुर्गों का गंभीर चोट के कारण लहुलुहान होना तय होता है। अधिकतर मामले में इनकी मौत भी हो जाती है। पश्चिम गोदावरी जिले के भीमावरम के पास एक गांव में विजयवाड़ा की ओर जाने वाली सड़क के किनारे मुर्गों की लड़ाई का एक बड़ा अस्थायी केंद्र बनाया गया है। इसमें एलसीडी स्क्रीन, कारों और दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग क्षेत्र, बैठने की गैलरी, सार्वजनिक सभा को संबोधित करने की टेक्निक, भोजन और पेय पदार्थ की अस्थायी दुकानें भी हैं।

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Andhra Pradesh: अदालतों ने मुर्गों की लड़ाई पर रोक लगा दी है

मुर्गों की लड़ाई के घेरे से कुछ मीटर की दूरी पर, एक बड़ा वातानुकूलित तंबू बनाया है जहां पोकर (ताश के पत्तों का खेल) के लिए मेज और कुर्सियों की व्यवस्था है। उंडी से विधायक और आंध्र प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष के. रघु रामकृष्ण राजू ने भीमावरम के पास मुर्गों की लड़ाई के एक स्थल का दौरा किया। कार्यक्रम के आयोजक ने खेल की सुविधा के लिए तेदेपा नेता को श्रेय दिया।

हालांकि, अदालतों ने मुर्गों की लड़ाई पर रोक लगा दी है और पुलिस आयोजन स्थलों की जुताई और चाकू जब्त करके इसके खिलाफ कार्रवाई करने का दावा करती है लेकिन यह खूनी खेल साल-दर-साल जारी रहता है और इसका दायरा बड़ा होता जा रहा है। देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग

(इनपुट-भाषा)