चक्रवात ‘यास’ से हुए नुकसान की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देरी से आई और बिना शामिल हुए वापस चली गई। इसको लेकर दोनों पार्टियों के बीच आरोप प्रत्यारोप जारी है। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस मुद्दे पर तंज़ कसा है।

महुआ मोइत्रा ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए कहा, ‘कथित तौर पर 30 मिनट के इंतजार पर इतना हंगामा क्यों मचा हुआ है। भारत के लोगों ने 7 सालों तक 15 लाख रुपये के लिए इंतजार किया। एटीएम के बाहर कई घंटों की लाइन लगाई। वैक्सीन के लिए कई महीनों तक इंतजार किया। थोड़ा आप भी वेट कर लीजिए कभी-कभी।’ महुआ मोइत्रा के इस ट्वीट पर यूजर्स भी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

अनपम महाजन नाम के एक यूजर ने लिखा “फिर आप लोग केंद्र सरकार से भीख मांगना बंद करो। आपको केंद्र कोई मददा नहीं करेगा। ममता खुद अपने वैक्सीन खरीदे और बंगाल को लगाए। पीएम की इज्जत करना सीखिये। ओड़िशा से कुछ सीखिये।”

दीपाली नाम की एक यूजर ने लिखा “हर सीएम को उन्हें इंतजार करना चाहिए, हर नागरिक को उनके साथ ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए। जैसे वह उनकी सेवा के लिए आए हैं। ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने लोगों को ऑक्सीजन, दवाओं और टीकों के लिए हांफते हुए रखा है।”

एक यूजर ने लिखा “जनता ऑक्सीजन, दवा, वैक्सीन और बिस्तर के इंतजार में मर रही थी और ये बंगाल में दीदी ओ दीदी कर रहे थे।” एक यूजर ने लिखा “यह इंतजार का गुस्सा नहीं है, यह अहंकार है जिसे एक महिला ने ध्वस्त कर दिया है।”

बता दें नेता प्रतिपक्ष शुभेन्दु अधिकारी ने ममता बनर्जी और मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय पर पीएम के अपमान का आरोप लगाया था। इसपर दीदी ने भाजपा पर “बदले की राजनीति” का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह उनकी सरकार के लिये हर कदम पर मुश्किल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वे अब भी विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार को पचा नहीं पाए हैं।

बनर्जी ने आगे कहा कि अगर बंगाल की वृद्धि और विकास के लिये उनसे मोदी के चरण छूने को कहा जाएगा तो वह इसके लिये तैयार हैं। उन्होंने कहा, “क्योंकि आप (मोदी और शाह) भाजपा की हार (बंगाल में) पचा नहीं पा रहे हैं, आपने पहले दिन से हमारे लिये मुश्किलें खड़ी करनी शुरू कर दी। मुख्य सचिव की क्या गलती है? कोविड-19 संकट के दौरान मुख्य सचिव को वापस बुलाना दिखाता है कि केंद्र बदले की राजनीति कर रहा है।”