मूर्ति पूजा को लेकर इस्लामिक स्कॉलर और जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि अगर कोई गलत चीज होगी तब उसे बताना-समझाना और उसके खिलाफ बोलना उनका काम है। उन्होंने इसके साथ ही साफ किया कि मुसलमान इस मुल्क में मॉइनॉरिटी नहीं बल्कि मजॉरिटी है। उन्होंने यह भी सलाह दी कि मुस्लिम हिजाब विवाद में न फंसे, वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने पर फोकस करें। एआईएमआईएम चीफ मुस्लिमों की बात करते हैं, पर वह (मदनी) हिंदुस्तान की बात करते हैं।

दरअसल, मदनी ने ये सारी बातें हाल ही में हिंदी न्यूज चैनल इंडिया टीवी को दिए इंटरव्यू के दौरान कहीं। उन्होंने इस दौरान देवबंद में हुए मुसलमानों के जलसे, देश में मुस्लिमों के मौजूदा हाल, तीन तलाक और मोदी सरकार के उनके प्रति रवैये समेत कई मसलों पर खुलकर बात की। मुस्लिमों के साथ ज्यादती के सवाल पर उन्होंने बताया, “शिकायत इसलिए की जाती है, ताकि चीजों को ठीक किया जा सके।”

“नरेंद्र मोदी के कौन से काम आपको पसंद आए?”, यह पूछे जाने पर उन्होंने जवाब दिया- खास पूछेंगे तो मुश्किल होगा। पर लोकतंत्र है। कई काम उम्मीदों के मुताबिक होते हैं, जबकि कई नहीं होते हैं। सारे काम सबकी उम्मीदों के हिसाब से नहीं हो सकते हैं। अभी विदेश नीति पर भारत ने जो रुख अपनाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। अगर इसकी तारीफ नहीं होगी, तो कंजूसी या नाइंसाफी होगी। हमारी नजर से देखा जाए तो भारत की स्वतंत्र भूमिका काफी रोज के बाद देखने को मिली है।

देवबंद में हुए जलसे में अपने जज्बातों (रोने) और तेवरों पर सवाल पर उन्होंने बताया- हर आदमी के जीवन में कभी-कभी इमोश्नल लम्हे आते हैं। यही इंसानी जीवन की खासियत है कि आदमी एक जैसा नहीं रहता। वह परिस्थितियों के हिसाब से बदलता रहता है। जो अहसास मेरे दिल (मुस्लिमों का चलना दुश्वार है…वाले बयान के संदर्भ में) में है, उसका मुझे इजहार करना है और उसे मैंने किया भी है।

तलाक के मसले पर सवाल हुआ तो वह बोले- निकाह से पहले बच्चे-बच्चियों की तीन दिन की ट्रेनिंग होनी चाहिए और जिसके पास सर्टिफिकेट न हो, उसका निकाह ही नहीं पढ़ाया जाना चाहिए। तलाक को सबसे बुरी चीजों में हैं। आप तलाक देने के तरीकों पर डिबेट कर रहे हैं और मैं समाज को तलाक न देने के ऊपर ले जाना चाहता हूं।

एंकर के आगे यह पूछने पर कि उससे जो बात पैदा हुई, मैं उस पर लाना चाहता हूं। आप मुल्क के मुस्लिमों को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। न कि कानून के हिसाब से? मदनी बोले- हम सबको मशविरा देना चाहते हैं। सरकार को भी…हमारी ही सरकार है न। यह अधिकार तो सभी का है। सरकार को भी यह सुनना चाहिए, फिर चाहे वह माने या न माने। हम लोग पहले सरकार से मिल भी चुके हैं। जरूरत पड़ती है तो पीएम और गृह मंत्री से भी मिलते हैं।

इंटरव्यू में मदनी से यह भी सवाल दागा गया कि यह आरोप लगता है कि मूर्ति पूजा खत्म करना मुसलमान का सबसे बड़ा फर्ज है? वह बोले- वह भी ताकत के जरिए है…नहीं। यह ताकत के जरिए नहीं है। समझाने से होगा। आपके साथ मेरी मोहब्बत का रिश्ता है तो गलत काम करने पर मैं आपको बताऊंगा-समझाऊंगा। बस इतना ही है। आपका काम नहीं है कि आप किसी को बदल दें। बात पहुंचानी है…अगर मुझे लगता है कि सही है तो मैं पहुंचाऊंगा।