District Guardian Ministers Maharashtra Controversy: महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बने हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ है कि इस गठबंधन में शामिल दलों के बीच एक नए मुद्दे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। यह मुद्दा जिला संरक्षक मंत्री नियुक्त करने का है। महायुति की सरकार को महाराष्ट्र के 36 जिलों में जिला संरक्षक मंत्री नियुक्त करने हैं।
बताना होगा कि चुनाव नतीजों के बाद से ही महायुति के दलों के बीच लड़ाई शुरू हो गई थी। बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत हासिल की थी। लेकिन पहले मुख्यमंत्री के चयन और फिर विभागों के बंटवारे को लेकर महायुति में शामिल दलों के बीच काफी किचकिच रही। विशेषकर उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपनी कुछ मांगों को लेकर अड़ गए थे।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चयन को लेकर एकनाथ शिंदे नाराज हो गए थे और अपने गांव चले गए थे।
महाराष्ट्र विधानसभा में BJP की बड़ी जीत के बाद RSS फिर तैयार, निकाय चुनाव के लिए संघ ऐसे कर रहा काम

मुख्यमंत्री का मसला सुलझने के बाद विभागों का बंटवारा होने को लेकर भी इन तीनों दलों के बीच में काफी लड़ाई दिखाई दी और इस वजह से इस काम में 15 दिन से ज्यादा का वक्त लग गया। इससे यही संदेश गया कि विभागों के बंटवारे को लेकर इन दलों के बीच आपसी लड़ाई हो रही है और यह मलाईदार विभागों को हथियाना चाहते हैं। महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी को 20 मंत्री पद मिले जबकि शिवसेना और एनसीपी के क्रमशः 12 और 10 विधायक मंत्री बने हैं।
अब बात करते हैं कि जिला संरक्षक मंत्री का पूरा मामला क्या है और यह पद इतना महत्वपूर्ण क्यों है कि तीनों दल अपने नेताओं को इस पद पर बैठाना चाहते हैं।
जिला संरक्षक मंत्री जिला योजना और विकास कमेटी (DPDC) की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं। इस कमेटी में विधायक, सांसद और स्थानीय निकायों के चुने हुए सदस्य शामिल होते हैं। यह कमेटी राज्य सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक योजनाओं को तैयार करती है।
पुणे की जिला परिषद के पूर्व सीईओ आयुष प्रसाद ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि DPDC को राज्य सरकार से फंड मिलता है और यह साल में दो बार मिलता है। यह राज्य के कुल बजट का 10% होता है। जिला संरक्षक मंत्री का पद उन नेताओं को दिया जाता है जो कैबिनेट स्तर के सीनियर नेता होते हैं। उनका काम जिले में विकास योजनाओं को लागू करवाना होता है। एक तरह से जिला संरक्षक मंत्री शासन और पार्टी मामलों के बीच ‘पॉइंट ऑफ कांटेक्ट’ के रूप में काम करते हैं।
अब बात करते हैं कि महायुति में शामिल दलों के बीच जिला संरक्षक मंत्री के पद पर नियुक्ति के लिए महाराष्ट्र के किन-किन जिलों में विवाद चल रहा है।

पुणे और ठाणे में है लड़ाई
इसमें पुणे जिला प्रमुख है। पुणे में आने वाले बारामती निर्वाचन क्षेत्र से एनसीपी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार चुनाव जीते हैं। वह पिछले 20 साल से जिला संरक्षक मंत्री के पद पर हैं और इस पद को अपने पास बरकरार रखना चाहते हैं। एनसीपी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस पर अपना दावा नहीं छोड़ेगी। इसके अलावा ठाणे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और बीजेपी के बीच लड़ाई दिख रही है। ठाणे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गृह क्षेत्र है यहां पर एकनाथ शिंदे और बीजेपी विधायक गणेश नाइक के बीच में जोर-आजमाइश चल रही है।
सतारा में चार मंत्री हैं दावेदार
सतारा में एनसीपी, बीजेपी और शिवसेना के चार मंत्री जिला संरक्षक मंत्री बनना चाहते हैं। इन नेताओं में शिवसेना के विधायक शंभूराज देसाई, बीजेपी के शिवेंद्रराजे भोसले और जयकुमार गोरे, एनसीपी के विधायक मकरंद पाटिल का नाम शामिल है। कोल्हापुर और रत्नागिरी जिलों में एनसीपी और शिवसेना के मंत्रियों के बीच टकराव है। कोल्हापुर में हसन मुश्रिफ और शिवसेना के विधायक प्रकाश अमितकर जबकि रत्नागिरी में शिवसेना के मंत्री उदय सामंत और योगेश कदम इस पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं।
यवतमाल और संभाजीनगर जिलों में भी इन दलों के बीच जिला संरक्षक मंत्री के पद के लिए मुकाबला है। यवतमाल में बीजेपी के उमेश उइके, शिवसेना के संजय राठौड़ और एनसीपी के इंद्रनील नाइक के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है, जबकि शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट और बीजेपी के अतुल सावे छत्रपति संभाजीनगर जिले में इस पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। इसी तरह जलगांव में इस पद के लिए बीजेपी के विधायक संजय सावकरे का मुकाबला शिवसेना विधायक गुलाबराव पाटिल से है।

धनजंय मुंडे का महायुति में ही विरोध
सबसे ज्यादा विवाद बीड़ जिले को लेकर हो रहा है। यह एनसीपी के बड़े नेता धनंजय मुंडे का गृह जिला है। यहां मुंडे का विपक्ष के साथ ही महायुति के नेता भी विरोध कर रहे हैं। यहां पर बीजेपी पंकजा मुंडे को संरक्षक मंत्री बना सकती है लेकिन धनंजय मुंडे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार दोनों का करीबी माना जाता है।
देखना होगा कि महायुति के भीतर जिला संरक्षक मंत्री के पद को लेकर चल रहा झगड़ा कोई बड़ा रूप अख्तियार करेगा या तीनों ही दल मिल-जुलकर इस मामले को सुलझा लेंगे।