Mahayuti Alliance CM Candidate 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी कुछ घंटे बाकी हैं लेकिन उससे पहले ही ऐसा लगता है कि महायुति (बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और अजित पवार(एनसीपी) में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर लड़ाई छिड़ गई है। बताना होगा कि महाराष्ट्र को लेकर आए तमाम एग्जिट पोल के बाद नतीजों को लेकर रोमांच और ज्यादा बढ़ गया है। कुछ एग्जिट पोल में महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के बीच नजदीकी मुकाबले की बात कही गई है जबकि कुछ एग्जिट पोल का कहना है कि महायुति को स्पष्ट तौर पर बहुमत मिल सकता है।
टुडेज चाणक्य एग्जिट पोल के अनुसार, महायुति को 175 ± 11 सीटें जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले MVA गठबंधन को 100 ± 11 सीटें मिलने का अनुमान है। एजेंसी ने कहा है कि अन्य दल और निर्दलीय 13 ± 5 सीटें जीत सकते हैं।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और सभी सीटों पर एक ही चरण में 20 नवंबर को मतदान हुआ था। राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए।
पुणे में पहले लगाया पोस्टर, फिर हटाया
लोकसभा चुनाव के नतीजों में खराब प्रदर्शन के बाद महायुति ने पूरे जोर-शोर के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी और किसी तरह की गुटबाजी से बचने के लिए किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश नहीं किया था लेकिन अब जब चुनाव नतीजे आने में कुछ घंटे का वक्त बचा है तो उप मुख्यमंत्री अजित पवार को उनकी पार्टी के नेताओं ने मुख्यमंत्री बताने वाले पोस्टर लगा दिए हैं।
पुणे में पार्टी के नेता संतोष नांगरे का एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें महायुति सरकार के सत्ता में आने पर अजित पवार को मुख्यमंत्री बताया गया है। हालांकि जब इसे लेकर विवाद शुरू हुआ तो इस पोस्टर को हटा लिया गया है। मतलब बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) को यह पोस्टर पसंद नहीं आया है।
बारामती में भी लगे पोस्टर
सोशल मीडिया पर एक और वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ पोस्टरों के जरिये अजित पवार को भावी मुख्यमंत्री बताया गया है। इस तरह के पोस्टर बारामती में लगाये गये हैं। बारामती से ही अजित पवार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें अपने भतीजे युगेंद्र पवार से चुनौती मिली है।
अजित पवार से गठबंधन तोड़ने की उठी थी मांग
यहां इस बात को बताना जरूरी होगा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद महायुति के अंदर अजित पवार के खिलाफ आवाज उठी थी। न सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बल्कि बीजेपी के भी कई कार्यकर्ताओं ने कहा था कि अजित पवार के साथ गठबंधन तोड़ दिया जाना चाहिए। कई कार्यकर्ताओं ने खुले मंच पर यह मांग की थी। उस वक्त तमाम असमंजस को दरकिनार करते हुए बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने चुनाव में अजित पवार के साथ ही जाने का फैसला किया था।
यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि 2023 में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ हाथ मिलाया था। इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
MVA में भी है लड़ाई
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर ऐसी ही लड़ाई MVA के अंदर भी दिखाई देती है। MVA ने भी किसी भी नेता को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया था लेकिन बहुमत मिलने की सूरत में शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस आमने-सामने आ सकते हैं।
2019 में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ सियासी रिश्ता तोड़ लिया था और तब उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर MVA की सरकार बनाई थी। लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के बाद यह सरकार गिर गई थी।
बहरहाल, जिस तरह अजित पवार को उनके गुट के नेता भावी मुख्यमंत्री बता रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अगर महायुति को बहुमत मिलता है तो मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर महायुति के भीतर रार देखने को मिल सकती है।