2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद NCERT की सामाजिक विज्ञान (Social Science) के सिलेबस में कई बदलाव किए गए हैं। इन नयी किताबों में 2002 के गुजरात दंगों के सभी संदर्भों को ठीक करने से लेकर, मुगल काल और जाति व्यवस्था से जुड़े सिलेबस में काफी बदलाव किए गए हैं। NCERT की नयी किताबों में विरोध और सामाजिक आंदोलनों पर अध्यायों को भी हटाया गया है। इस बारे में लेखक और महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी की असली पहचान और विरासत ने बीजेपी-आरएसएस को हमेशा परेशान किया है।
BJP-RSS महात्मा गांधी को उस रंग में रंगना चाहते हैं जिसमें वो उन्हें देखना चाहते हैं
तुषार गांधी ने कहा कि वह एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से हटाए जाने से आश्चर्यचकित नहीं थे, लेकिन चिंतित थे कि इस तरह के और प्रयास किए जाएंगे। बुधवार को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए तुषार गांधी ने कहा कि इन चैप्टर्स से ‘संघ परिवार के गलत सूचना के अभियान’ को बढ़ावा मिलेगा।
तुषार गांधी ने कहा, “संघ परिवार द्वारा इतिहास को मिटाने के इस प्रयास से मुझे कोई आश्चर्य नहीं है। उन्होंने इतिहास को फिर से लिखने और स्थापित इतिहास को बदनाम करने की अपनी इच्छा के बारे में कुछ नहीं छुपाया है। इससे दो उद्देश्यों की पूर्ति होती है- वे इतिहास का एक सुविधाजनक संस्करण लिखने में सक्षम हैं जो उन्हें सूट करता है और वो गांधी को उस रंग में रंग सकते हैं जिसमें वे उन्हें देखना चाहते हैं। मोहनदास करमचंद गांधी की वास्तविक पहचान और विरासत ने उन्हें हमेशा परेशान किया है।”
NCERT की किताबों से हटाए गए कई चैप्टर्स
दरअसल, एनसीईआरटी ने महात्मा गांधी, उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे और आरएसएस पर 1948 के प्रतिबंध को कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान और इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया है। यह कोर्स सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में पूरे भारत में पढ़ाए जाते हैं, यहां तक कि कई राज्य बोर्ड भी एनसीईआरटी सिलेबस पढ़ाते हैं।
यह ब्रेनवॉश करने का आरएसएस-बीजेपी का संस्करण- तुषार गांधी
तुषार गांधी का कहना है कि भाजपा-आरएसएस गांधी की विरासत से इस हद तक परेशान थी कि उसने इतिहास के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “तब उनके पास एक भावी पीढ़ी होगी जिसके पास वास्तविक शिक्षा और सूचना तक पहुंच नहीं है और उनके (आरएसएस-बीजेपी) के गलत सूचना के अभियान को स्वीकार करना आसान होगा। यह शुरुआत में ही ब्रेनवॉश करने का उनका संस्करण है। उन विचारों पर हावी होने की कोशिश करने के बजाय जो पहले से ही प्रत्यारोपित किए जा चुके हैं, वे झूठ को दिमाग में डालने की कोशिश कर रहे हैं।”
तुषार ने आगे कहा, “इस तरह के गांधी को वे हमेशा अपनाना चाहते थे। उनके लिए उस गांधी के साथ रहना बहुत आसान होगा। आरएसएस हमेशा से पाखंडी रहा है। कम से कम हिंदू महासभा के साथ हम जानते हैं कि वे कहां खड़े हैं, आरएसएस हमेशा छलावा करता है। वे काम करवाते हैं और उनके पास अपने लिए बच निकलने का रास्ता होता है इसलिए उनका दोगलापन आश्चर्यजनक नहीं है।”