महात्मा गांधी हत्याकांड में मुख्य हत्यारे नाथूराम गोडसे के साथ नारायण दत्तात्रेय आप्टे को 15 नवंबर, 1949 को फांसी पर लटकाया गया था। इस घटना के 68 साल बाद, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका में दावा किया गया है कि आप्टे की पहचान संदेह के घेरे में है। याचिका में महात्मा गांधी हत्याकांड की जांच फिर से कराने का अनुरोध किया गया है। महात्मा गांधी हत्याकांड की पूरी साजिश का पता लगाने के लिए 1966 में गठित न्यायमूर्ति जेएल कपूर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आप्टे भारतीय वायु सेना में रह चुका था। हालांकि, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने सात जनवरी, 2016 को शोधकर्ता और शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने वाले पंकज फडनीस को सूचित किया कि नारायण दत्तात्रेय आप्टे के वायु सेना का एक अधिकारी होने के बारे में कहीं भी कोई जानकारी नहीं मिली है। शोधकर्ता और अभिनव भारत के ट्रस्टी फडनीस ने महात्मा गांधी हत्याकांड की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह इतिहास में लीपा-पोती वाला एक सबसे बड़ा मामला है।

उन्होंने याचिका के साथ तत्कालीन रक्षा मंत्री, अब गोवा के मुख्यमंत्री, पर्रीकर का पत्र भी संलग्न किया है। याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि इस तरह की सूचना से 30 जनवरी, 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में विदेशी हाथ की संलिप्तता साबित होती है। पर्रीकर के पत्र में कहा गया है-मैंने मामले की जांच कराई। मुझे सूचित किया गया है कि यह मामला वायु सेना के भीतर ही विभिन्न एजंसियों, रक्षा मंत्रालय की डिवीजन और ब्रिटेन के एचसीआइ स्थित एए के पास इस अनुरोध के साथ भेजा गया था कि नारायण दत्तात्रेय आप्टे से संबंधित कोई भी जानकारी उपलब्ध कराई जाए। इन सभी एजंसियों ने पुष्टि की है कि उन्हें नारायण दत्तात्रेय आप्टे से संबंधित कोई रिकार्ड नहीं मिला है। रक्षा मंत्रालय के इतिहास प्रकोष्ठ ने तो राष्ट्रीय अभिलेखागार, केंद्रीय सचिवालय पुस्तकालय से भी संपर्क किया और महात्मा गांधी हत्याकांड के मुकदमे के निजी कागजात का भी अध्ययन किया गया है। 1943-46 के लिए भारत के राजपत्र (वायु प्रकोष्ठ) की भी खोजबीन की गई परंतु उसके भारतीय वायु सेना का अधिकारी होने के बारे में कोई भी जानकारी कहीं नहीं मिली। फडनीस ने पर्रीकर के पत्र के आधार पर गांधी हत्याकांड मामले की फिर से जांच कराने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत में तर्क दिया है कि ऐसी स्थिति में इस तथ्य पर भरोसा करने का पर्याप्त आधार है कि आप्टे ब्रिटिश फोर्स 136 का आपरेटिव था। इसकी पुष्टि इस मामले में आगे जांच के बाद ही हो सकती है।