महाराष्ट्र में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बीच एनसीपी प्रमुख अजित पवार को बड़ा झटका लगा है और शरद पवार मजबूत हुए हैं। एनसीपी की परभणी जिला इकाई के अध्यक्ष बाबाजानी दुर्रानी ने पार्टी से किनारा कर लिया है। वह पिछले साल ही शामिल हुए थे। दो बार के एमएलसी और परभणी जिले के पथरी विधानसभा क्षेत्र से एक बार के विधायक बाबाजानी दुर्रानी को शरद पवार के वफादार के रूप में जाना जाता था। लेकिन कथित तौर पर स्थानीय मुद्दों के कारण अक्टूबर 2023 में उन्होंने अजित गुट का दामन थाम लिया था।
अजित पवार गुट को लगा झटका
बाबाजानी दुर्रानी छत्रपति संभाजीनगर में पार्टी अध्यक्ष शरद पवार और वरिष्ठ नेता राजेश टोपे की उपस्थिति में एनसीपी (शरद पवार) में शामिल हुए। लोकसभा में हार के बाद अजित पवार की पार्टी में बढ़ते असंतोष की सुगबुगाहट के बीच बाबाजानी दुर्रानी के दलबदल को अजीत गुट के लिए एक महत्वपूर्ण झटके के रूप में देखा जा रहा है।
कार्यक्रम के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बाबाजानी दुर्रानी ने कहा कि उन्होंने जनता के दबाव और सांप्रदायिक विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम करने के दौरान आने वाली कठिनाइयों के कारण शरद पवार गुट में लौटने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “मैंने शरद पवार साहब की एनसीपी में लौटने का फैसला किया क्योंकि मेरे जैसे कार्यकर्ता के लिए उस पार्टी के लिए काम करना बहुत मुश्किल है जो भाजपा या शिंदे की शिवसेना के साथ गठबंधन में है, जिनकी राजनीति धार्मिक और जातिगत आधार पर दरारें पैदा करने पर केंद्रित है। मेरे कार्यकर्ता, मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोग मुझ पर इंडिया गठबंधन में शामिल होने के लिए दबाव डाल रहे थे।”
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मुसलमानों और दलितों ने वोट नहीं दिया- बाबाजानी दुर्रानी
बाबाजानी दुर्रानी ने कहा, “लोकसभा चुनाव के दौरान हमने देखा कि मुसलमानों और दलितों ने हमें केवल इसलिए वोट नहीं दिया क्योंकि हम भाजपा, शिंदे सेना के साथ गठबंधन में हैं। पिछले दस वर्षों से भारत में एक मजबूत लोकतंत्र होने के बावजूद मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।”
बाबाजानी दुर्रानी ने कहा कि हाल ही में अजित पवार की पार्टी एनसीपी के अल्पसंख्यक नेताओं के साथ बैठक में उन्होंने अपनी राय रखी थी कि मुस्लिम बीजेपी के साथ जाने के पार्टी के फैसले से खुश नहीं हैं। दुर्रानी ने कहा कि मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में रहकर चुनाव नहीं जीत सकती।