महाराष्ट्र की राजनीति में वर्षों से चल रही लड़ाई अब खत्म होने वाली है। उद्धव ठाकरे ने अब राज ठाकरे के साथ अपने संबंध सुधारने की पहल करने का निर्णय लिया है। यह बदलाव चुनावी रणनीति के तहत हो रहा है, जिससे दोनों पार्टियों के समर्थकों के बीच एकता बढ़ेगी। इस पहल से पार्टी कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। उद्धव ठाकरे का मानना है कि एकजुटता से चुनाव में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। राज ठाकरे भी इस विचार के प्रति सकारात्मक हैं और इसे महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई दिशा देने का मौका मानते हैं।
शिवसेना और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के बीच की दूरी होगी कम
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेता जल्द ही मिल सकते हैं। यह मुलाकात किसी बड़ी राजनीतिक घोषणा का हिस्सा बन सकती है। साथ ही, इससे उनके बीच की कड़वाहट को भी समाप्त करने में मदद मिलेगी। उद्धव ठाकरे का यह कदम एक रणनीतिक सोच का परिणाम है। यह चुनावी मौसम में वोटरों को एक सकारात्मक संदेश देने का प्रयास है। इससे शिवसेना और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के बीच की दूरी कम होगी।
इस बीच बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारेंगे। इससे करीब 15 साल से ज्यादा समय से दोनों परिवारों के बीच की कलह खत्म होने की संभावना बढ़ गई।
समर्थक इस बदलाव को लेकर उत्सुक हैं और नए समीकरणों का इंतजार कर रहे हैं। यदि यह पहल सफल होती है, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। उद्धव और राज ठाकरे की दोस्ती से चुनाव में न केवल दोनों दलों को लाभ होगा, बल्कि राज्य के विकास में भी योगदान मिलेगा।
शिवसेना (यूबीटी) के शीर्ष नेताओं ने 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपने विधायकों और संभावित उम्मीदवारों से गुरुवार शाम को मुलाकात की। आदित्य ठाकरे, अनिल देसाई और संजय राउत सहित वरिष्ठ नेताओं ने मौजूदा विधायकों और संभावित उम्मीदवारों के साथ बैठक की। पार्टी उम्मीदवारों को विधानसभा चुनावों के बारे में निर्देश दिए गए और प्रचार के साथ-साथ नामांकन पत्र भरने के दौरान उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, यह भी बताया गया। विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।