महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी की सरकार सत्ता पर काबिज हो चुकी है। अब इस बात पर लोगों की नजरें टिकी हैं कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार अपनी सहयोगी पार्टियों एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों से कैसे निपटेगी? आइए डालते हैं ऐसे ही कुछ केसों पर नजर-
सिंचाई घोटालाः महाराष्ट्र में जब साल 2009-14 तक कांग्रेस एनसीपी की गठबंधन सरकार सत्ता में थी। तब अजित पवार के पास जल संसाधन मंत्रालय और विदर्भ सिंचाई डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन का भी प्रभार था। इस दौरान सिंचाई प्रोजेक्ट को लेकर अनियमितता के काफी आरोप लगे थे। इस मामले में कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी। जिसके बाद कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच हुई। अब यह जांच फिलहाल महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा की जा रही है।
इस मामले में 24 एफआईआर दर्ज की गई थी। अजित पवार का नाम इनमें सीधे तौर पर नहीं था। हालांकि साल 2018 में एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ संजय बर्वे ने एक हलफनामा देकर कहा था कि सिंचाई के लिए कॉन्ट्रैक्ट देने में अजित पवार ने दखल दिया था। फिलहाल इस घोटाले में 2654 कॉन्ट्रैक्ट में से 212 की जांच पूरी हो चुकी है।
आदर्श सोसाइटी घोटालाः मुंबई के कोलाबा में बनी 31 मंजिला बिल्डिंग ‘आदर्श हाउसिंग सोसाइटी’ में भी बड़ा घोटाला सामने आया था। यह बिल्डिंग युद्ध में शहीद हुए जवानों की विधवाओं और सुरक्षाबलों के लोगों के कल्याण के लिए बनायी गई थी। आरोप लगे कि इस बिल्डिंग में नेताओं, नौकरशाह और सैन्य अधिकारियों ने मार्केट से कम रेट पर खुद के लिए फ्लैट आवंटित कर लिए थे। सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें 14 रिटायर्ड और सर्विंग डिफेंस अधिकारियों, नौकरशाह और राजनेताओं के नाम शामिल थे। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण भी इस मामले में आरोपी हैं। इसके चलते अशोक चव्हाण को सीएम पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।
महाराष्ट्र सदन घोटालाः महाराष्ट्र की एंटी करप्शन ब्यूरो ने एनसीपी नेता छगन भुजबल और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। छगन भुजबल समेत अन्य लोगों पर आरोप था कि इन्होंने दिल्ली स्थित राज्य सरकार के एक प्लॉट को निजी डेवलेपर को काफी कम कीमत पर लीज पर दे दिया था। इसके बदले आरोपियों को मोटी रिश्वत मिली थी। छगन भुजबल इस घोटाले के समय पीडब्लूडी मंत्री थे।
इसके अलावा छगन भुजबल पर रिश्वत के बदले कई सरकारी कॉन्ट्रैक्ट के आवंटन में धांधली के आरोप हैं। इनमें 870 करोड़ रुपए का महाराष्ट्र सदन कॉन्ट्रैक्ट भी शामिल है। ईडी ने इस मामले में केस दर्ज किया है।
महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक घोटालाः इसी साल अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस की इकॉनोमिक ऑफेंस विंग को एनसीपी नेता अजित पवार और 70 अन्य के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दिए थे। आरोप है कि महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक में 2007-2011 के बीच करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। नाबार्ड की जांच में पता चला कि अजित पवार व अन्य आरोपियों ने नियमों का उल्लंघन किया, जिसके चलते यह घाटा हुआ।